इंदौर में सेशन कोर्ट ने कहा- सामान्यत: मरणासन्न व्यक्ति सच बोलता है, जमानत नहीं दे सकते
Updated: | Mon, 08 Mar 2021 10:58 AM (IST)इंदौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। सेशन कोर्ट ने माना कि मरणासन्ना हालत में व्यक्ति सामान्यत: सच बोलता है। बगैर किसी खास कारण के उसके बयान पर शक करने की गुंजाइश नहीं होती। दहेज हत्या के मामले में आरोपित पति को जमानत का लाभ देने से इन्कार करते हुए सेशन कोर्ट ने मृतका के मृत्युपूर्व दिए कथनों को महत्वपूर्ण माना है। 11 अगस्त 2020 की रात पपीता पति अरविंद सिसोदिया को चोइथराम अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती किया गया था। रात करीब 11 बजे पपीता ने आरोप लगाया कि पति अरविंद ने खाना खाते समय सब्जी खराब बनाने का आरोप लगाया और विवाद करने लगा। वह पास के कमरे से गया और केरोसिन का जार लाकर उस पर उड़ेला और माचिस से आग लगा दी थी। इसी दिन रात करीब ढाई बजे चंदन नगर थाना पुलिस ने मामले में जांच शुरू करते हुए एसडीएम के समक्ष पपीता के मृत्युपूर्व कथन रिकार्ड करवाए।
इसमें भी पत्नी ने पति पर घासलेट डालकर जान से मारने के उद्देश्य से जलाने की बात कही। बाद में इलाज के दौरान पपीता की मृत्यु हो गई। पुलिस ने हत्या के आरोप में पति अरविंद को गिरफ्तार कर लिया। वह करीब सात महीने से जेल में है। उसने जिला जज के समक्ष जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था। मृतका के पिता की तरफ से एडवोकेट केपी माहेश्वरी ने आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि मृतका ने अपने मृत्युपूर्व कथन में पति अरविंद पर स्पष्ट आरोप लगाया है।
ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। अभियोजन की तरफ से शासकीय अधिवक्ता विमल मिश्रा ने भी तर्क रखे कि मामला गंभीर है। पति पर पत्नी को जिंदा जलाने का आरोप है। जमानत का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीके पालीवाल ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया।