MP High Court Jabalpur: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इमारत सौ साल बाद भी मजबूती की मिसाल
Updated: | Sun, 29 Nov 2020 08:28 AM (IST)सुरेंद्र दुबे, जबलपुर। अनूठी स्थापत्य कला के लिए देश-दुनिया मे चर्चित मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ऐतिहासिक इमारत 100 साल पुरानी है। अंग्रेजों के जमाने में यहां कचहरी से लेकर कलेक्ट्रेट व ट्रेजरी तक लगे। अंतत: इसे मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्यालय के रूप में जाना जाने लगा। जबलपुर निवासी पूर्व सांसद सेठ गोविन्ददास के पितामह राजा गोकुल दास ने एक बेहतरीन इमारत का सपना देखा। जिसे पूरा करने के लिए सीपी एंड बरार प्रांत के अंग्रेज इंजीनियर सीआइई, पीडब्ल्यूडी हेनरी इरबिन ने डिजाइन तैयार किया। जिसके आधार पर 1886 में निर्माण शुरू हुआ, जो 1889 में पूर्ण हो गया। जब यह इमारत बनकर तैयार हुई तो देखने वाले बस देखते रह गए। ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना थी। इसकी मज़बूती वाकई बेमिसाल है।
एक नवंबर, 1956 को जब मध्यप्रदेश का पुनर्गठन हुआ, तब मध्यप्रदेश हाई कोर्ट का मुख्यालय इसी इमारत को बनाया गया। इससे पूर्व यहां कलेक्ट्रेट, कलेक्टर हाउस व ट्रेजरी हुआ करते थे। प्रथम चीफ जस्टिस एम हिदायतुल्ला ने इस भवन को देखने के बाद हाई कोर्ट के लिए सर्वथा उपयुक्त पाया। लिहाजा, सारी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई।
नॉर्थ व साउथ ब्लॉक हूबहू बनवाए गए : कालांतर में हाई कोर्ट की मूलभूत इमारत न्यायिक कार्य संचालन के लिए छोटी पड़ने लगी। तब नॉर्थ व साउथ ब्लॉक पूर्व स्थापत्य से मिलते-जुलते यही हूबहू बनवाए गए।
सभी तरफ से भव्यता देखने लायक : इस इमारत की खासियत यह है कि इसे किसी भी तरफ से देखा जाए, समान रूप से भव्यता परिलक्षित होती है। चाहे किसी भी गेट से प्रवेश किया जाए हाई कोर्ट की इमारत बराबर दर्शनीय है।
1936 से संचालित हाई कोर्ट : भले ही मध्यप्रदेश हाई कोर्ट अपने आधुनिक स्वरूप में 1956 से अस्तित्व में आया, लेकिन इसकी शुरूआत 1936 में नागपुर से ही हो गई थी। इसीलिए हाई कोर्ट की समृद्ध परम्परा का जब भी स्मरण होता है, तो नागपुर वाले काल से ही होता है।