Jabalpur Court News: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित को जमानत नहीं
Updated: | Mon, 18 Jan 2021 11:44 AM (IST)जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। विशेष न्यायाधीश संगीता यादव की अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने पक्ष रखा। उन्होंने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए दलील दी कि 10 अगस्त, 2020 को रात्रि 11 बजे नाबालिग अपने कमरे में सोने चली गई थी। अगले दिन सुबह वह कमरे में नहीं मिली। लिहाजा, पीड़िता के परिवार ने आसपास और रिश्तेदारों के यहां तलाश शुरू की लेकिन पता नहीं चला। इस बात की शिकायत पुलिस से की गई। पूछताछ में जानकारी मिली कि आवेदक बहला-फुसलाकर कहीं ले गया था। उसने अपनी बातों में फंसाकर दुष्कर्म किया। नाबालिग एक दुकान में काम सीखने जाती थी। इसी दौरान आवेदक से पहली मुलाकात हुई थी। तब से वह बातों में फंसाने लगा था। मामला गंभीर है, अत: जमानत आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट से प्रमुख सचिव राजस्व सहित अन्य को नोटिस : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कृषि भूमि से जुड़े मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का अंतरिम आदेश पारित किया। साथ ही राज्य शासन, प्रमुख सचिव राजस्व, अपर आयुक्त भोपाल संभाग, कलेक्टर, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। इसके लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से कृषि भूमि खरीदी थी। उस भूमि के नामांतरण के लिए आवेदन किया गया। तहसीलदार से मामला अनुविभागीय अधिकारी के पास भेज दिया। अनुविभागीय अधिकारी ने कलेक्टर को भेज दिया। कलेक्टर ने आवेदन अस्वीकर कर दिया, जिसके बाद अपर आयुक्त के समक्ष अपील की गई। अपर आयुक्त ने भी अपील निरस्त कर दी, जिससे व्यक्ति होकर हाई कोर्ट आना पड़ा। दरअसल, यह मामला बेवजह परेशान करने से संबंधित है। प्रशासन एक ईमानदार क्रेता को उसकी कृषि भूमि नामांतरित करने के अधिकार से वंचित कर रहा है। चूंकि ऐसा नहीं किया जा सकता अत: राहत अपेक्षित है।
बहस के दौरान साफ किया गया कि कृषि भूमि चैना आत्मज कोका अहिरवार को ग्राम ढकना चपना में राज्य शासन द्वारा पट्टे में प्रदान की गई थी। जिसके बाद राजस्व रिकार्ड में चैना ने अपना नाम दर्ज करा लिया। शासन ने विधिवत ऋण पुस्तिका आदि बना दी। लिहाजा, याचिकाकर्ता ने कृषि भूमि नियमानुसार खरीदी है, जिसका नामांतरण उसके नाम होना चाहिए। हाई कोर्ट ने पूरा मामला समझने के बाद यथास्थिति के निर्देश जारी किए और सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिए।