Jabalpur News: सिद्धचक्र विधान में दिख रहे ज्ञान और भक्ति के रंग
Updated: | Fri, 26 Feb 2021 06:03 AM (IST)जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रशस्त मन स्वस्थ तन हितकारी वचन सकारात्मक चिंतन एवं सात्विक भोजन से ही हम शरीर के स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं। सद्भावना पूर्ण मन मित्रता के उपवन को हरा भरा रख, शत्रुओं की खरपतवार पैदा नहीं होने देता। सद्भावना एक दिव्य शक्ति है ऐसी शक्ति जिसे प्राप्त करने हमें कहीं और भटकने की आवश्यकता नहीं ,यह हमारी अपनी सोच पर निर्भर करती है । जब कभी अपना मन पवित्र होता है, हर चेहरे पर अपना चित्र होता है। चले जाओ दुनिया के किसी भी कोने में, हर कोई अपना मित्र होता है। उक्त प्रेरक उद्गार भक्ति रस से सिंचित इंद्र और इंद्राणियों को संबोधित करते हुए सिद्धचक्र महामंडल विधान की धर्मोपदेश पीठ से ज्ञान का अमृत बिखेरते हुए विधानाचार्य ब्र. त्रिलोक ने श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर गोलबाजार में व्यक्त किए।
सद्भावना से बड़ा कोई मंत्र नहीं : उन्होंने कहा कि लोग सुख शांति के लिए किसी मंत्र की तलाश में हैं। मैं कहता हूं सद्भावना से बड़ा कोई मंत्र नहीं है, सद्भावना से बड़ा कोई तंत्र नहीं है। सद्भावना ही है सुख का आधार, सद्भावना से बड़ा कोई मित्र नहीं है। त्रिलोक भैया ने आगे कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्या स्वास्थ्य है। सात्विक अहिंसक भोजन से ही हम आरोग्य प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमें अपने भोजन को स्वयं समझना होगा, यदि हम अपने भोजन को ही औषधि नहीं बनाते तो दुनिया की कोई दवाई हमें स्वस्थ नहीं कर सकती। हमारे भोजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री औषधीय गुणों से युक्त होती है। बस ऋतु अनुसार भोजन एवं उसकी मात्रा का ज्ञान होना अनिवार्य है। हम जैसा अन्न खाते हैं, वैसा हमारा मन बनता है। जैसा मन होता है, वैसा विचार होता है। जैसा विचार होता है, वैसा हमारा आचरण होता है। हम यदि दवाई की एक्सपायरी डेट मानते हैं तो हमें भोजन की एक्सपायरी डेट मर्यादा भी मानना चाहिए। वर्षा ऋतु में 3 दिन, शीतकाल में 7 दिन एवं ग्रीष्म काल में 5 दिन तक का पिसा हुआ आटा, मसाला हम सेवन कर सकते हैं। इसके बाद यह भोजन आरोग्य वर्धक नहीं होता। इसके साथ ही उपवास एकासन एवं रस परित्याग तप भी हमारे शरीर का शोधन कर बीमारियों को दूर करते हैं। जब हम जैन उपवास पद्धति में लगातार 46 घंटे उपवास में अन्न जल ग्रहण नहीं करते तो शरीर की मशीन को पुराने कचरे को साफ करने का समय मिलता है । कार्यक्रम प्रवक्ता के अनुसार विधान निर्देशक ब्रह्मचारी रविंद्र की प्रेरणा से महा शांति धारा के समय लगभग 12 श्राविकाओं ने 64 रिद्धि के व्रत उपवास एकाशन की साधना के साथ स्वीकार किए। महेंद्र जैन, अखिलेश जैन आदि इंद्रों ने भक्ति भाव से मंडल पर 64 अर्घ्य अर्पण किए।