Guru Gobind Singh Jayanti 2021: जानिए सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह के बारें में, ये थे उनके अनमोल वचन
Updated: | Tue, 19 Jan 2021 10:05 AM (IST)Guru Gobind Singh Jayanti 2021: सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh) की जयंती इस साल 20 जनवरी (बुधवार) को है। गुरु गोबिंद का जन्म पौष शुक्ल सप्तमी संवत् विक्रमी तदनुसार 1666 में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद वे गुरु बने थे। वह एक महान योद्धा, भक्त और आध्यात्मिक नेता थे। वर्ष 1699 को बैसाखी के दिन गोबिंद जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। जो सिखों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने सिखों की पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया। उन्होंने मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म के लिए परिवार का तक बलिदान कर दिया, जिसके लिए उन्हें सरबंसदानी भी कहा जाता है। गुरु गोबिंद सिंह एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और कई भाषाओं के जानकार थे। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना भी की। उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता है। उन्होंने हमेशा प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया। गोबिंद जी का कहना था कि मनुष्य को किसी को डराना चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। वे सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। 7 अक्टूबर 1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस तरह हुई खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोबिंद सिंह की नेतृत्व में सिख समुदाय सभा चल रही थी। जहां उन्होंने सबसे पूछा कौन अपने सर का बलिदान देगा। तब एक स्वयंसेवक इस बात के लिए तैयार हो गया। गोबिंद जी उसे तम्बू में ले गए और वापस खून लगे तलवार के साथ लौटे। गुरु ने दोबारा पूछा और वह पांच स्वंयसेवक को तम्बू में लेकर गए व खून लगी तलवार लेकर आए। कुछ देर बाद गोबिंद सिंह फिर तंबू में गए सभी पांचों स्वयंसेवकों के साथ जीवित लौटे। जिसे उन्होंने पंज प्यारे खालसा का नाम दिया। उन्होंने तब पांच ककारों का महत्व खालसा के बताया कहा केश, कंघा, कड़ा, किरपान और कच्चेरा। गुरु जी के बारे में मुहम्मद अब्दुल लतीफ ने लिखा है कि जब में उनके बारे में सोचता हूं तो समझ नहीं पाता किस पहलू की बात करूं। वे कभी मुझे महाधिराज, कभी महादानी और कभी फकीर नजर आते हैं।
ये हैं गुरु गोबिंद सिंह के अनमोल वचन
1. सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडियन ते मैं बाज तुडाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।
2. अगर आप केवल अपने भविष्य के बारे में सोचते है तो आप अपने वर्तमान को खो देंगे।
3. जब आप अपने अंदर बैठे अहंकार को मिटा देंगे, तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी।
4. मैं उन लोगों को पसंद करता हूं जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं।
5. इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।
6. जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए।
7. ईश्वर ने हमें जन्म दिया ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
8. जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तब हाथ में तलवार उठासा सही है।
9. असहायों पर अपनी तलवार चालने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा।
10. दिन-रात हमेशा ईश्वर का ध्यान करो।
11. सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होत है, जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है।
12. आप स्वयं ही स्वयं हैं, आपने स्वयं ही संसार का सृजन किया है।
13. अज्ञान व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है।
14. बिना नाम के कोई शांति नहीं है।
15. स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है।
Posted By: Arvind Dubey