नईसराय (नवदुनिया न्यूज)। जिस समय भगवान राम तीन भाईयों सहित अयोध्या के राजा दशरथ के यहां अवतरित हुए, उसी समय सूर्य के रथ के घोड़े रुक गए। एक माह तक सूर्य स्थिर हो गया और रात नहीं हुई। तब चंद्रमा रोने लगा क्योंकि रात न होने से वह प्रभु के दर्शन नहीं कर पा रहा था। उक्त आशय के उद्गार पं. बृजभूषण महाराज ने ग्राम रूसल्ला खुर्द में गौंड बाबा के स्थान पर नव कुंडीय श्रीराम महायज्ञ के पांचवें दिन कथा वाचन करते हुए व्यक्त किए।
पं. बृजभूषण ने आगे कहा कि भगवान राम ने चंद्रमा की पीड़ा को समझते हुए कुछ क्षण के लिए अपनी आंखें बंद कीं। उनके आंख बंद करते ही चारों ओर अंधेरा छा गया, तब चन्द्रमा उनके दर्शन पा सका। भगवान ने चंद्रमा को आश्वासन दिया कि भले ही मेरा जन्म सूर्यवंश में हुआ है, फिर भी जब मेरा नामकरण होगा तो मेरे नाम के साथ चन्द्र शब्द जुड़ा रहेगा। चंद्रमा का भाव देखकर भगवान राम ने कहा कि तुम्हारी इच्छा पूर्ति के लिए द्वापर युग में कृष्ण रूप में अवतार लूंगा। तब मेरा जन्म रात में 12 बजे होगा। अपनी इच्छा भर मुझे देख लेना। उधर भगवान शिव, राम के जन्म की खबर सुनते ही योगी के भेष में डमरू बजाते हुए अयोध्या पहुंच गए और उन्होंने भगवान श्रीराम के बालरूप में दर्शन किए। कथा के दौरान भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह का प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया गया। इस मौके पर कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नव कुंडीय श्रीराम महायज्ञ यज्ञाचार्य पं संतोष भार्गव ने बताया कि यज्ञशाला में प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक सात ब्राह्मणों द्वारा 16 जोड़ों से हवन कुंड में आहूतियां दिलाई जाती हैं।
Posted By: Nai Dunia News Network
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