बालाघाट (नईदुनिया प्रतिनिधि)। वन्य प्राणियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए वन विभाग द्वारा उकवा से बैहर मुख्य मार्ग किनारे जगह-जगह कटीले तार लगाए गए है।ताकि वन्यप्राणी सड़क पर न आ पाए।दरअसल, उकवा से बैहर, मलाजखंड, बिरसा, सालेटेकरी के पूरे जंगल कारीडोर से जुड़े हुए है। ऐसे में इन जंगलों में वन्यप्राणी बहुतायत में होने से कई बार सड़क पर विचरण करते आ जाते थे।जिसके चलते दुर्घटना होने की अधिक संभावना बनी रहती थी, इसके लिए कटीले तार लगाए है।इससे वन्य प्राणियों का सड़क पर विचरण करना भी रूका है।
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि उकवा से बैहर, मलाजखंड, बिरसा, दमोह, अचानकपुर, सालेटेकरी सहित अन्य गांव मार्ग किनारे बसे है और इन गांवों से घने जंगल लगे है।यह मार्ग सीधे छत्तीसगढ़ राज्य को जोड़ता है। इससे 24 घंटे वाहनों की आवाजाही बनी रहती है, इसीलिए मार्ग किनारे पड़ने वाले सभी जंगलों में कटीले तार लगवाए है। ऐसा करने से जंगल में पालतू मवेशी भी नहीं प्रवेश करते है और नए प्लांटेशन लगाने पर सक्सेस हो रहे है।वहीं,क्षेत्र के ऐसे जंगल जहां पर कटीले तार नहीं लग पाए है उन मार्ग पर कटीले तार लगाने की मांग जोरों की जा रही है। इससे वन विभाग को काफी सहूलियत मिली है।
बांस के खंभों का उपयोगः बता दें कि पहले कटीले तार के साथ सीमेंट वाले खंभों का उपयोग किया जाता था, लेकिन सीमेंट के खंभे में लोहा होने से चोर इन्हें तोड़ दिया करते थे। इसके लिए वन विभाग ने सीमेंट की जगह बांस के खंभों का उपयोग इस वर्ष से चालू किया है।जिनका उपयोग भी किया जा रहा है। इससे कटीले तार की फेंसिंग सही सलामत है।जंगल में जहां पर कटीले तार लगाए जा रहे है वहां पर बांस के खंभों का उपयोग किया जा रहा है।यह खंभे सस्ते व टिकाऊ है।ये खंभे बैहर तहसील मुख्यालय में बनाए जा रहे है।इतना ही नहीं बांस के खंभों की मांग अन्य जिले में भी बहुत अधिक है।
इनका कहना
जंगल किनारे वाले रास्ते जहां पर अधिक वाहनों की आवाजाही होती है। उन मार्गों पर कटीले तार व फेंसिंग लगवाई जाती है। उकवा से बैहर मार्ग पर पड़ने वाले पूरे जंगल कारीडोर से जुड़े है।वन्यप्राणी सड़क पर नहीं आते और प्लांटेशन में भी बाहरी पालतू पशु प्रवेश नहीं कर पाते है।इस बार सीमेंट के खंभे की जगह बांस के खंभे का उपयोग किया जा रहा है।
एनके सनोड़िया, मुख्य वन संरक्षक बालाघाट।
Posted By: Nai Dunia News Network
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