बालाघाट, नईदुनिया प्रतिनिधि। शनिवार सुबह तेज-आंधी तूफान और तेज गर्जनाओं के साथ बारिश हुई। सुबह करीब छह बजे से शुरू हुआ बारिश के दौर 11 बजे तक जारी रहा। इस बेमौसम बारिश के कारण मौसम का मिजाज पूरी तरह बदला हुआ है। बारिश के कारण मौसम में ठंडक घुली है। तापमान में अचानक चार से पांच डिग्री की गिरावट आई है। वहीं, बात करें बारिश के कारण रबी की फसल को होने वाले नुकसान की तो कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बेमौसम बारिश से रबी की गेहूं और चने की फसल को आंशिक नुकसान होगा। गेहूं की वह फसल जो खेतों में पककर तैयार है और जिसे किसान कुछ दिन में काटने वाले थे, वह आंधी-तूफान और बरसात के कारण ढुलक गई है। वहीं, चने की फसल को काटकर जिन किसानों ने अपने खेत अथवा मकानों की छत पर रखा था, वह बारिश में भीगे हैं, जिससे चने को नुकसान होगा।
निकालनी पड़ी बरसाती, हुआ ठंड का अहसासः
सुबह तेज बारिश के बाद जब देर तक बारिश नहीं रुकी तो लोगों को घरों से बरसाती निकालनी पड़ी। इसके अलावा शनिवार को सुबह से तापमान में अच्छी खासी गिरावट आने से ठंड हावी रही। हालांकि, दोपहर बाद मौसम खुलने से तापमान सामान्य हो गया, लेकिन दोपहर 12 बजे तक अधिकतम तापमान 22 तथा न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि शुक्रवार तक अधिकतम तापमान 32 से 33 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र बड़गांव के कृषि वैज्ञानिक धर्मेंद्र अगाशे ने बताया कि मौसम विभाग भोपाल से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार, जिले में रविवार को भी हल्की बारिश तथा हल्के बादल छाए रहने की संभावना है।
सेहत पर पड़ सकता है असरः
पिछले एक पखवाड़े से मौसम में आ रहे उतार-चढ़ाव का असर सेहत पर भी पड़ रहा है। फरवरी माह में जहां जिले में रिकार्डतोड़ गर्मी पड़ी थी तो मार्च महीने की शुरुरआत में तापमान में गिरावट आने से सेहत भी असर पड़ा था। अब बेमौसम बारिश लोगों को बीमार कर सकती है। सिविल सर्जन डा. संजय धबड़गांव के अनुसार, वर्तमान में जिला अस्पताल की ओपीडी में 250 से 300 मरीज आ रहे हैं, जो सामान्य दिनों की तुलना में दोगुने हैं। वर्तमान में अस्पताल में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी जैसी मौसमी बीमारी से ग्रसित मरीज पहुंच रहे हैं।
5 से 10 प्रतिशत प्रभावित होंगी फसलेंः
कृषि विभाग के उपसंचालक राजेश खोब्रागढ़े ने बताया कि शनिवार को हुई बारिश और आंधी-तूफान से सबसे ज्यादा गेहूं और चने की फसल को नुकसान हो सकता है। हालांकि, ये फसलें पांच से दस प्रतिशत तक प्रभावित होंगे। वर्तमान में जिले के 50 फीसदी किसानों ने चने की कटाई पूर्ण कर ली है, जबकि 50 फीसदी चने की कटाई होना बाकी है। गेहूं की खड़ी फसल के लुढ़कने से इसका रंग फीका पड़ सकता है। रबी की धान की फसल को इस बारिश से फायदा मिलेगा। श्री खोब्रागढ़े ने बताया कि जिले में इस बार दो लाख 18 हजार हेक्टेयर में रबी की फसल बोई गई है।
Posted By: Jitendra Richhariya
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