
नईदुनिया प्रतिनिधि, भिंड। मां दुर्गा के स्वरूप मां चंद्रघंटा शक्ति और समृद्धि की प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी आराधना से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसी प्रेरणा को आत्मसात कर अहमदाबाद की 38 वर्षीय आरती शर्मा ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी।
आरती के पति सुभाष शर्मा अहमदाबाद में रंगाई का काम करते थे। वर्ष 2019 में एक दिन अचानक उनके साथ काम करने वाले व्यक्ति का फोन आया। उसने लड़खड़ाती आवाज में बताया कि सुभाष की तबीयत खराब है। यह सुनते ही आरती के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए। बाद में पता चला कि हार्ट अटैक के कारण सुभाष का निधन हो गया।
आरती बताती हैं कि उस दिन को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। मेरी प्रार्थना है कि ऐसा दिन किसी के जीवन में न आए। पति के जाने के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं था। उस समय उनके पास महज 500 रुपये थे।
सुभाष के निधन के बाद घर में आर्थिक तंगी बढ़ती गई। खाने-पीने का सामान भी खत्म होने की कगार पर था। दो बेटियों की शादी और बेटे की पढ़ाई की जिम्मेदारी आरती के कंधों पर आ गई।
एक दिन बच्चों के चेहरों को देखकर उन्हें एहसास हुआ कि अब उन्हें अपने परिवार के लिए मजबूत बनना होगा। आरती ने हिम्मत जुटाई और मेहनत-मजदूरी शुरू की। इधर-उधर से मिली मदद और अपनी मेहनत से उन्होंने धीरे-धीरे रुपये जोड़े।
वर्ष 2021 में आरती ने मेहनत से जमा किए 50 हजार रुपये से एक ई-रिक्शा खरीदा। शुरुआत में इसे उनके एक रिश्तेदार ने चलाया, लेकिन दुर्भाग्य से कुछ महीनों बाद उसकी गौरी सरोवर में डूबने से मौत हो गई। यह एक और बड़ा झटका था, लेकिन आरती ने हार नहीं मानी।
उन्होंने खुद ई-रिक्शा चलाना सीखा। शुरुआत में लोग उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन आरती ने इन बातों को नजरअंदाज किया। आज वह ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का खर्च उठा रही हैं।
आरती की मेहनत रंग लाई। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों की शादी कर दी। छोटे बेटे को पढ़ाई के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार भेजा। वह कहती हैं कि मैंने अपने बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। आज मैं संतुष्ट हूं कि मेरी मेहनत से उनका भविष्य सुरक्षित है।
आरती की कहानी नारी शक्ति का प्रतीक है, जो यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।