भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। भोपाल में कोरोना को लेकर लोगों को बहुत ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। इसकी वजह यह कि भोपाल में अभी तक कोरोना के चार तरह के वैरिएंट मिल चुके हैं। इनमें इसी महीने मिले ओमिक्रोन का एक मामले के साथ दूसरी लहर में कहर बरपाने वाला डेल्टा प्लस, डेल्टा और अल्फा वैरिएंट शामिल है। प्रदेश में अभी तक 842 वैरिएंट आफ कंसर्न (चिंताजनक) मिले हैं, इनमें अकेले 265 भोपाल के हैं। इसके बाद इंदौर के 182 सैंपल में चिंताजनक वैरिएंट मिले हैं।
चिंता की बात यह है कि इंदौर के बाद भोपाल में कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। हर दिन मिलने वाले मरीजों का आंकड़ा एक हजार के पार हो गया है। इसके बाद भी यह पता नहीं चल पा रहा है कि नए मरीज कौन से वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं। इसकी वजह यह कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) दिल्ली भेजे गए सैंपलों की रिपोर्ट नहीं आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर-जनवरी में भेजे गए 96 सैंपलों में से अभी तक सिर्फ छह की रिपोर्ट आई है। जिसमें एक सैंपल में ओमिक्रोन पुष्टि हुई है। भोपाल से शुरू लेकर अब तक करीब 900 सैंपल सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जा चुके हैं।
पिछले 85 दिन में डेल्टा के सात और ओमिक्रोन का एक मामला मिला
26 अक्टूबर तक भोपाल में 257 चिंताजन वैरिएंट मिले थे, 13 जनवरी की स्थिति में यह आंकड़ा 265 तक पहुंच गया। यानी इन 85 दिनों में डेल्टा के सात और ओमिक्रोन वैरिएंट का एक मामला सामने आया है। डेल्टा प्लस और अल्फा का नया मामला नहीं आया है। इस संबंध में हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेन्द्र दवे ने कहा कि दिसंबर के आखिरी हफ्ते तक बहुत कम मरीज मिल रहे थ्ो। जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भी कम भेजे जा रहे थे। इस कारण इस अवधि में सिर्फ आठ सैंपल में वैरिएंट की पुष्टि हुई है। उनके मुतबिक भोपाल में अभी भी चारों वैरिएंट सक्रिय होने का पूरा अंदेशा है। जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए जनवरी के सैंपलों की रिपोर्ट आने के बाद हकीकत पता चलेगी।
प्रदेश से भेजे गए सैंपल जिनकी रिपोर्ट आई- 2417
सैंपल जिसमें वैरिएंट आफ कंसर्न मिले--842
डेल्टा प्लस म्यूटेशन-- 14
डेल्टा --738
यूके स्ट्रेन (अल्फा)--738
आमिक्रोन-- 11
भोपाल में अब तक मिले वैरिएंट -- 264
डेल्टा-- 241
डेल्टा प्लस--5
अल्फा-- 18
ओमिक्रोन -- 1
नोट-- भोपाल के पते वाले एक और मरीज के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट में ओमिक्रोन की पुष्टि हुई थी, लेकिन यह व्यक्ति भोपाल आया ही नहीं, इसलिए इसे शामिल नहीं किया गया है।
सैंपलों की रिपोर्ट जल्दी आए, इसके लिए एनसीडीसी के अधिकारियों से बात कर रहे हैं। एम्स में भी जांच शुरू होने जा रही है। इसके अलावा पांच मेडिकल कालेजों में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए मशीनें लगा रहे हैं।
डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र
Posted By: Ravindra Soni
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