बृजेंद्र ऋषीश्वर ,भोपाल। 14 माह की पुलिस कमिश्नरी के पहले पुलिस को आयुक्त मकरंद देऊस्कर का भोपाल के बाद इंदौर का पुलिस आयुक्त बनाया गया है। उनके स्थान पर इंदौर के पुलिस आयुक्त को भोपाल पुलिस कमिश्नर के रूप में तैनात किया है। 14 माह पुराने मकरंद देऊस्कर को नवाचार के पुलिस कमिश्नरी में पहचाना जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिकायतकर्ताओं की सुनवाई के लिए थानों में नई व्यवस्था बनाई थी, जहां थानों में शिकायत के लिए जाने वाले आवेदक को थाने में पानी के लिए पूछा जाता था और उनकी शिकायत पर रजिस्टार में दर्ज किया जाता था। बाद में शिकायतकर्ता के पास पुलिस आयुक्त कार्यालय से फोन कर जानकारी ली जाती थी कि वह शिकायत करने थाने गए थे तो वहां उनके साथ पुलिस का सबसे पहले व्यवहार कैसा था, उनको थाने में पानी पूछा गया की नहीं। इस पर उस थाने के निरीक्षक को पुलिस कमिश्नर की ओर से ग्रेड दी जाती थी। बाद में उसे नगद एक हजार रूपये तक का पुरस्कार दिया जाता था।
कुल अपराध में कमी आई, लेकिन बड़े अपराध बड़े
उनके कार्यकाल में कुल अपराधों में कमी आई थी,लेकिन बड़े अपराधों में इजाफा हुआ था।जैसे दुष्कर्म, खुदकुशी और हत्या जैसे अपराध में बढ़ोतरी हुई थी। उनकी ही मेहनत का नतीजा था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनको नवाचार के सम्मानित भी किया गया था। बता दें कि भारतीय पुलिस सेवा 97 बैच के अधिकारी मकरंद देऊस्कर भोपाल के मूल निवासी हैं।यह पर ही उनकी स्कूली शिक्षा हुई और बचपन बीता है। इसलिए उनको भोपाल के अपराध की प्रकृति की पूरी जानकारी थी और पुलिस कमिश्नर बनने से पहले वह पुलिस मुख्यालय में ही थे।
नए पुलिस कमिश्नर के लिए महिला अपराध रोकना बढ़ी चुनौती
भारतीय पुलिस सेवा 2003 बैच के अधिकारी हरिनारायणचारी मिश्रा के भोपाल पुलिस में पहली वार तैनात किया गया है। इससे पहले वह कभी भी भोपाल में तैनात नहीं रहे हैं। उनके लिए महिला अपराध रोकने सबसे बढ़ी चुनौती होगी। उनके लिए भोपाल में तैनात अधिकारियों में थाना प्रभारी से लेकर पुलिस उपायुक्त में इक्का - दुक्का ही अधिकारी है, जो पहले उनके साथ काम कर चुके हैं। इंदौर पुलिस में उनका लंबा कार्यकाल बीता है, वह प्रशिक्षु के रूप में वह इंदौर के ही रहे एसडीओपी भी रहे हैं। उसके बाद एसएसपी और पुलिस कमिश्नर रहे हैं।वह मूल रूप से बिहार सीवान के रहने वाले हैं।उनकी स्नातक शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई है, उसके बाद वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भूगोल में एमए किया। दिल्ली में रहते ही उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी की थी। 2002 में उनका चाय भारतीय रेल यातायात सेवा में चयन हुआ था। उसके बाद उन्होंने दोबारा से प्रयास किया और वह भारतीय पुलिस सेवा के लिए हिंदी माध्यम से चुने गए थे।वह उन चुनिंदा अधिकारियों में शामिल है, जो प्रदेश के महानगरों में ग्वालियर , जबलपुर , इंदौर और अब भोपाल पुलिस के मुखिया रहे हैं।
Posted By: Lalit Katariya
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