भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। एम्स भोपाल में 70 साल के एक बुजुर्ग के दिल की मुख्य धमनी (आरटरी) को लिथोट्रिप्सी आधारित एंजियोप्लास्टी तकनीक से बुधवार को खोला गया है। बुजुर्ग की मुख्य धमनी कैल्सियम जमा होने से 99 फीसद तक ब्लाक हो गई थी। इस वजह से खून का रिसाव ठीक से नहीं होने की वजह से मरीज के सीने में लगातार दर्द हो रहा था। साधारण तरीके से एंजियोप्लास्टी इस मामले में संभव नहीं थी, लिहाजा डॉक्टरों ने बायपास सर्जरी की सलाह दी थी। हृदय रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. गौरव खंडेलवाल ने यह ऑपरेशन किया है। इस तरह मरीज बायपास सर्जरी से बच गया।
डॉ. खंडेलवाल ने बताया कि एंजियोप्लास्टी करने में जोखिम बहुत था। कैल्सियम के अत्यधिक जमाव के चलते स्टेंट ठीक से फूल नहीं पाता और नस के फटने का डर बना रहता। लिहाजा एंडवास्ड इंट्रावस्कुल लिथोट्रिप्सी तकनीक से एंजियोप्लास्टी की गई। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पहले भी इस तकनीक से एंजियोप्लास्टी की गई है, लेकिन मुख्य धमनी को इस तकनीक से खोलने का संभवत: प्रदेश का यह पहला मामला होगा। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में इस प्रक्रिया में करीब साढ़े पांच लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन एम्स में सिर्फ सामान का खर्च ही मरीज को देना पड़ता है, इसलिए लगभग आधे खर्च में इलाज हो जाता है।
क्या है इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी तकनीक
साधारण एंजियोप्लास्टी में बंद कोरोनरी धमनी को खोलने के लिए इसे गुब्बारे व स्टेंट की सहायता से फैलाया जाता है। लिथोट्रिप्सी में कोरोनरी ध्ामनी में एक विशेष गुब्बारे को डाला जाता है, जिससे तरंगें निकलती हैं। जो अपनी स्पंदन ऊर्जा की मदद से जमे हुए कैल्सियम को तोड़ देती हैं। इसके बाद स्टेंट अच्छे से फैल जाता है और धमनी खुल जाती है।
Posted By: Ravindra Soni
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