भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। रोशन और निकिता को अपने पापा के मिलने की काफी खुशी है, दोनों के पापा के लिए मामी से कहकर अच्छा-अच्छा खाना बनाने को कह रहे हैं। दोनों के पापा अब एक माह से अधिक समय बाद अपने घर पहुंच कर अपने बच्चों से मिलेंगे। दरअसल देवी सिंह करीब सात अप्रैल से हमीदिया अस्पताल में भर्ती था। उसको दो दिन पहले ही पूरी तरह से होश आया है। वह सात अप्रैल को भोपाल के पास ट्रेन से गिर गया था। जिसके बाद उसे लोगों ने हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया। उसके पूरे उपचार के दौरान डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ उसका ख्याल समाजसेवी मोहन सोनी और डा. जीशान हनीफ ने रखा। होश आने के बाद देवी सिंह सिर्फ अपने गांव का नाम बता सका। जिसके बाद मोहन सोनी ने एसपी धार से संपर्क किया। जिन्होंने थाना दही का नंबर दिया, इसके बाद देवी सिंह के परिवार को उनके हमीदिया अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी गई। स्वजन भोपाल आए और खुशी-खुशी देवी सिंह को लेकर वापस गांव गए हैं। देवी सिंह भी परिवार से मिलने के बाद काफी खुश दिखाई दिया।

हम इनको खोज-खोज हार गए थे

देवी सिंह की पत्नी नीलम जामोद ने बताया कि मेरे भाई और इनके भाई सात अप्रैल से लगातार इनको खोज रहे थे। तमाम रिश्तेदारों, इनके दोस्तों के यहां पता लगाया, लेकिन कुछ पता नहीं लग सका। इतना ही नहीं इसके बाद सबने शहर-शहर की सड़कों में देखा। तब भी कुछ पता नहीं चल रहा था। हम पूरी तरह से हार चुके थे। लेकिन मंगलवार रात को हमारे पास मोहन सोनी का फोन आया, तब पता चला कि यह हमीदिया अस्पताल भोपाल में भर्ती हैं।

अज्ञात की पहचान के लिए कोई तरीका नहीं

हमीदिया अस्पताल में काफी पहले अज्ञातों की पहचान अंगूठे के निशान से आधार में जाकर कर ली जाती थी। लेकिन अब इस प्रक्रिया को अपनाया नहीं गया। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अब आधार वाले इस काम के लिए मना करते हैं। इसे निजता का हनन की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए अज्ञातों की पहचान काफी मुश्किल हो जाती है।

हमने देवी सिंह को परिवार को सौंप दिया है। अभी देवी सिंह ठीक से बात नहीं कर पा रहे हैं। हमें उन्होंने गांव का नाम बताया था, इसके बाद हम उनके घर तक पहुंच गए। स्वजन देवी सिंह को धार ले गए हैं। आगे का उपचार वहीं कराएंगे।

- मोहन सोनी, समाजसेवी, भोपाल

Posted By: Ravindra Soni

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