भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। कहते हैं कि जो लोग जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं, उन पर ईश्वर की कृपा सदा बनी रहती है। ईश्वर उन पर हमेशा प्रसन्न रहते हैं। उन्हें जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए शक्ति देते हैं। यह कहना है कि श्री दिगंबर जैन समाज पंचायत एवं ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु की। वे इसी भाव के साथ हर दिन सुबह-शाम जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने का काम रहे हैं। बैरसिया रोड पर स्थित प्रमोद हिमांशु फाउंडेशन के नाम से हर दिन सुबह पांच बजे रसोई में भोजन बनना शुरू हो जाता है। कभी-कभी रोटी, सब्जी तो कभी दाल-चावल, दलिया, पूड़ी-सब्जी बनाई जाती है तो कभी खीर, कढ़ी व चावल बनता है। जरूरतमंदों को हर दिन सुबह व शाम निश्शुल्क पौष्टिक भोजन बांटा जाता है। सुबह साढ़े आठ बजे तक 500 लोगों के लिए भोजन बनाकर तैयार कर लिया जाता है। इसके बाद वैन में रखकर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पतालों के बाहर बैठे जरूरतमंदों को भोजन वितरित किया जाता है। इसी तरह शाम चार से छह बजे के बीच 500 लोगों को भोजन कराया जाता है। जरूरतमंद लोग कतार में लगकर भोजन लेते हैं।
जरूरतमंदों को भोजन कराने से मिलती है खुशी
प्रमोद हिमांशु बताते हैं कि अपनी क्षमता के अनुसार हर दिन एक हजार जरूरतमंदों को भोजन करा पता हूं। ऐसे लोग जो रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जीवन यापन करते हैं, उनको भोजन कराते हैं। शहर में कई ऐसे लोग हैं, जो भूखे पेट सो जाते हैं। इन्हें सुबह-शाम का भोजन नहीं मिलता है। ऐसे लोगों को देखकर और कोरोना संक्रमण के चलते निश्शुल्क भोजन की व्यवस्था करना शुरू किया। रोटियां बनाने में दिक्कत न हो, इसके लिए करीब चार लाख की रोटी बनाने की मशीन खरीदी। पांच से छह कर्मचारियों को भोजन बनाने व जरूरतमंदों तक पहुंचाने की व्यवस्था की है। यह काम जिंदगी भर करता रहूंगा।
कोरोना संक्रमण के दौरान मजदूरों को बांटा था भोजन
श्री दिगंबर जैन समाज पंचायत एवं ट्रस्ट की ओर से समय-समय पर सेवा कार्य किए जाते हैं। जरूरतमंदों की मदद करने में दिगंबर जैन समाज के लोग हमेशा से आगे रहते हैं। कोरोना के समय प्रमोद हिमांशु फांउडेशन की ओर से आने-जाने वाले मजदूरों को भोजन वितरित किया गया। लोग को मास्क भी दिए। निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों को भोजन के पैकेट वितरित किए। जैन समाज के सेवा कार्य से अन्य सामाजिक संगठन भी आगे आए, उन्होंने भी जरूरतमंदों को भोजन बांटने की व्यवस्था की।
Posted By: Ravindra Soni
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