भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। गृह निर्माण सहकारी समितियों में गड़बड़ी करने वालों पर अधिकारी मेहरबान हैं। आलम यह है कि इन अधिकारियों को जांच करने के लिए कहीं दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं तो कहीं समिति के पदाधिकारी। ये अधिकारी यही हवाला देकर गड़बड़ी की तह तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
यह हालत तब हैं, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद पीड़ितों को प्लाट दिलाने के निर्देश देते हुए फर्जीवाड़ा करने वाली समिति के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन डेढ़ साल का समय बीतने के बाद भी समितियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। मुख्यमंत्री के कहने के बावजूद अधिकारी 1750 में से एक को ही प्लाट दिला पाए हैं, बाकी अन्य अब भी अपने हक के लिए चक्कर काट रहे हैं।
विभाग को करनी थी यह कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गृहनिर्माण समितियों में पात्रता के आधार पर भूखंड दिलाए जाने थे। अवैधानिक रूप से समितियों द्वारा बेची गई भूमि वापस ली जानी थी। रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए न्यायालय में आवेदन करने थे। धोखाधड़ी करने वाले समिति पदाधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करानी थी। इसमें सहकारिता विभाग जिला उप पंजीयक से गड़बड़ी करने वाली समितियों की जानकारी जुटाई जानी थी। समितियों द्वारा अवैध रूप से बेची गई भूमि को वापस लेकर पात्र सदस्यों को आवंटित करनी थी। लेकिन इनमें एक भी बिंदु पर अमल नहीं हो सका।
इन समितियों पर सबसे अधिक मेहरबानी
रोहित और गौरव गृह निर्माण समिति सबसे विवादित गृह निर्माण सहकारी समिति हैं। रोहित में 126 भूखंड अवैधानिक तरीके से बेच दिए। पात्र सदस्यों की जगह अपात्रों को न सिर्फ भूखंड का आवंटन किया, बल्कि उनकी रजिस्ट्री भी करा दी। इसी तरह गौरव गृह निर्माण समिति में 26 रजिस्ट्री गैर सदस्यों को कर दी गई। इस समिति का मामला विधानसभा में भी गूंजा था। इसके बाद कमेटी बनाई गई थी। जांच में पदाधिकारी दोषी पाए। बावजूद इसके किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी। खास बात यह है कि दोनों ही समितियों में अब भी रजिस्ट्री निरस्त करने की कार्रवाई महज कागजों में ही चल रही है।
हिलटाप गृह निर्माण समिति
समिति की जमीन पर सरकारी कब्जे हैं। इसे हटाने के लिए सदस्य लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके आज तक इसे हटाने की कार्रवाई नहीं हो सकी। हालात यह हैं कि प्लाट की आस में कई सदस्यों की मृत्यु हो गई और अब उनके बेटे लड़ाई लड़ रहे हैं।
समिति की जमीन पर बन गई कालोनी
आदर्श गृह निर्माण समिति की जमीन पर कोरल लाइफ नामक कालोनी का निर्माण कर दिया गया है। यहां ईडब्ल्यूएस की जगह पर डुप्लेक्स बना दिए गए हैं। बंधक प्लाट पर भी डुप्लेक्स बने हुए हैं। ओपन स्पेस पर भी मकान बना दिए गए हैं। समिति के 750 सदस्यों में से एक को भी प्लाट नहीं मिला। कारण है कि सोसायटी के कर्ताधर्ताओं ने जमीन इंदौर के किसी बिल्डर को बेच दी और बिल्डर ने यहां अपने हिसाब से कालोनी डेवलप की। यह शिकायत भी विभाग में धूल खा रही है।
एक साल बाद भी नहीं मिली जानकारी
सहकारिता विभाग के उपायुक्त विनोद सिंह ने बताया कि एक साल पहले सभी गृह निर्माण समितियों को जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इसमें समिति के चुनाव से लेकर सदस्य व प्लाटों की पूरी जानकारी तलब की गई थी। इस निर्देश के बाद भी सिर्फ वही समितियां आगे आईं, जो पहले से जानकारी विभाग को दे रही हैं। वहीं, गड़बड़ी करने वाली एक भी समिति के पदाधिकारियों ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा।
अब तक की स्थिति में गृहनिर्माण समितियां
- संस्थाओं की संख्या : 580
- पीड़ित सदस्यों की संख्या : 1750
- पीड़ित सदस्यों को आवंटित भूखण्डों की संख्या : 1
- कराई गई एफआइआर : एक भी नहीं
- धारा 76 (2) के तहत न्यायालय में दर्ज प्रकरणों की संख्या : एक भी नहीं
- धारा 58-बी के तहत पारित डिक्री के प्रकरणों की संख्या : एक भी नहीं
- अवैध, विक्रित भूखंड, भूमि वापस लाने के लिए दर्ज प्रकरणों की संख्या : 34
- संस्थाओं की संख्या जिनके द्वारा वेबसाइट बनाई गई : 32
- संस्थाओं की संख्या जिनकी जानकारी की प्रविष्टि विभाग के पोर्टल में की गई : 11
Posted By: Ravindra Soni