Bhopal News:भोपाल(नवदुनिया प्रतिनिधि)। श्यामला हिल्स िस्थत मानस भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण अधिवेश शुक्रवार से शुरू हुआ। 19 मार्च तक चलने वाले अधिवेशन में देश-विदेश से बुद्धिजीवी आए। रामचरितमानस भवन ह्यूस्टन अमेरिका, तुलसी मानस प्रतिष्ठान एवं रामायण केन्द्र के द्वारा आयोजित पांचवें अधिवेशन में अमेरिका, मारीशस आदि स्थानों से 70 से अधिक विद्वान शामिल हुए। इसमें पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय है। जिसका जीवन व्यवहार में उपयोग करने से संसार की सारी समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि हमारे जीवन में अभी भी सात्विकता का अभाव देखा जा रहा है। यही वजह है कि प्रकृति हमसें नाराज है। और मानव जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं के बाद भी जीवन कष्टमय बना हुआ है।
कार्यक्रम में तुलसी मनास प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने कहा कि यह प्रभु की परम कृपा है कि अंतरराष्ट्रीय रामायण का पंचम पुष्प प्रभु को समर्पित करने का सौभाग्य तुलसी मानस प्रतिष्ठान भोपाल को प्राप्त हुआ है। इस दौरान नीरजा सक्सेना द्वारा नृत्यनाटिका दशावतार की सुंंदर प्रस्तुतियां की गई। विवेकानंद की भविष्यवाणी सच हो रहीतुलसी मानस प्रतिष्ठान के संयोजक राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि महर्षि अरविन्द और विवेकानंद ने अपने समय में जो भारत के विश्व गुरू बनने की भविष्यवाणियां की थी वे आज साकार होती दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। जो हमारे श्रद्धा के केन्द्र है। युग परिवर्तन के इस समय में अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति का व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है।
-रामराज्य की अवधारणा में जन कल्याण की भावना प्रमुख हैमुख्य वक्ता के रूप में कौषलेन्द्र विक्रम सिंह जी ने कहा कि रामराज्य की अवधारणा में जन कल्याण की भावना प्रमुख है। जबकि पश्चिमी विद्वान को राज्य को एक आवश्यक बुराई मानते है लेकिन रामराज्य में तो जैसा कि वर्णन आया है कि अन्त:करण की पवित्रता के कारण समग्र बुराईयों का नाश हो गया था। आपने भारतीय दर्शन के अनुसार रामराज्य की स्थापना संचालन के सूत्र और उनके सद्प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि त्रेता युग में चेतन तो क्या जड़ पदार्थ भी अपनी अनुकूलता लिये हुए थे।
शोधपत्र किए गए प्रस्तुतमप्र हिन्दी लेखिका संघ की वारली कला की चित्र प्रदर्शनी तथा डीआर मंडल की डाक टिकिट प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम में डा इशरत जहां-बनारस (श्रीराम चरितमानस में पात्रों का महात्म), डा आदित्य षुक्ला- बेंगलुरु -(सफल व्यक्तित्व के हनुमान मंत्र), डा लीलम जैन, पुणे, (प्राकृत भाषा) में तुलसी मानस भारती के माह मार्च अंक के साथ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। अयोध्या प्रसाद सोनी द्वारा हस्तलिखित रामचरितमानस भी भेट की गई, जो पांच वर्ष के समय में लिखी गयी है। तत्पष्चात् रामचरित भवन के तीन सत्रों में शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
1971 में ह्यूस्टन अमेरिका चली गई, वहां हिन्दू धार्मिक गतिविधियां कराने के लिए स्वतंत्र हैं : ऊषा मेहरा
अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में रामचरितमानस भवन ह्यूस्टन अमेरिका से जुड़ी ऊषा मेहरा आईं हैं। उन्होंने कहा कि 1971 में अमेरिका चली गई। वहां हिन्दू धार्मिक गतिविधियां कराने में स्वतंत्र हैं। हमें कोई रुकावटें नहीं आती हैं, जो सहयोग चाहते हैं हमें मिल जाता है। तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। अब तक बीते चार से पांच वर्षों में बहुत विशाल रामलीला व दशहरा मनाया जाता है, जिसमें 10 हजार से अधिक लोग शामिल होते हैं। वहां के स्थानीय कलाकर रामलीला करते हैं। भारत से भी लोग रामलीला करने आते हैं। हनुमान चालीसा अमेरिका
Posted By: Lalit Katariya
- Font Size
- Close