भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। पशु पालन विभाग और मध्यप्रदेश मप्र कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन को भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के पूर्व सीईओ डॉ. केके सक्सेना की हठधर्मिता के आगे झुकना पड़ा है। विभाग व फेडरेशन ने गुरुवार को सक्सेना को तबादला करने का अपना ही आदेश बदल दिया। सवा महीने तक चली खींचतान के बाद आदेश बदला है।
दरअसल, संघ में डॉ. केके सक्सेना उप महाप्रबंधक क्षेत्र संचालन के पद पर कार्यरत थे। उन्हें सीईओ के पद से हटाकर इस पद पर नियुक्त किया गया था। 22 जून को फेडरेशन के प्रबंधक संचालक शमीम उद्दीन ने उन्हें उप महाप्रबंधक बनाकर रीवा भेजा था। यह संयंत्र जबलपुर दुग्ध संघ के अंतर्गत आता है। तब से लेकर गुरुवार 12 अगस्त तक सक्सेना ने ज्वाइन नहीं किया। सूत्रों की मानें तो उन्होंने तमाम मंत्रियों के सामने तबादला आदेश निरस्त करने की गुजारिश की थी, जिसमें अलग-अलग दलीलें दी थी।
रीवा मत भेजो, जबलपुर का सीईओ बना दो
एक बार तो फेडरेशन के सामने भी लिखित आवेदन देकर कहा था जबलपुर दुग्ध संघ के अंतर्गत उन्हें रीवा संयंत्र में भेजा गया है, लेकिन जबलपुर के सीईओ दीपक सक्सेना उनसे जूनियर है। ऐसे में वे जूनियर के नीचे काम नहीं करेंगे। यदि उनका तबादला करना ही है तो जबलपुर दुग्ध संघ के सीईओ के पद पर किया जाए। तब भी उनके आवेदन की सुनवाई नहीं हुई थी। सूत्रों की मानें तो वे विभागीय मंत्री के पास भी गए थे, लेकिन मंत्री ने तबादला आदेश यथावत रखने की सिफारिशें की थी। तब भी उन्होंने ज्वाइन नहीं किया था। वे लगातार अलग-अलग कारणों का हवाला देकर काम करने से बचते रहे थे।
बर्खास्त करने के बजाय तबादला आदेश बदल दिया
डॉ. केके सक्सेना के खिलाफ शिकायत करने वाले डॉ. वीके पांडे का कहना है कि जिस अधिकारी के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की जानी चाहिए, उनका तबादला आदेश बदला जा रहा है। उनका आरोप है कि पशुपालन विभाग और एमडी दबाव में काम कर रहे हैं। सरकार के सामने और सक्सेना की सिफारिशें करने वाले जनप्रतिनिधियों के सामने उनकी शिकायतों व प्रकरणों को ठीक से प्रस्तुत नहीं कर रहे हैं। इसके कारण यह स्थिति बन रही है। डॉ. वीके पांडे ने सक्सेना के खिलाफ अपर मुख्य सचिव पशुपालन, फेडरेशन के एमडी, लोकायुक्त समेत तमाम एजेंसियों को शपथपत्रों के साथ शिकायतें की है। सक्सेना ने तबादला आदेश बदलने पर भी आपत्ति दर्ज कराई है।
इनकी कमियां
अपर मुख्य सचिव पशुपालन विभाग— डॉ. केके सक्सेना के खिलाफ हुई शिकायतों की पूरी जानकारी अपर मुख्य सचिव पशु पालन जेएन कंसोटिया को है। शिकायतकर्ताओं ने उनके कार्यालय में नामजद शिकायतें की है लेकिन अपर मुख्य सचिव कार्यालय स्तर से उचित कार्रवाई आज तक नहीं की गई है।
जनप्रतिनिधि— कुछ जनप्रतिनिधि किसानों के हितों की चिंता किए बिना गड़बड़ अधिकारियों को लेकर सिफारिशें कर रहे हैं।
एमडी— जब डॉ. केके सक्सेना ने सवा महीने तक काम नहीं किया था और तबादला आदेश का पालन नहीं किया, किसी कोर्ट से कोई स्टे भी नहीं था। ऐसी स्थिति में लोक सेवकों को निलंबित किया जाता रहा है लेकिन एमडी ने यह कार्रवाई नहीं की है।
जांच एजेंसियां— जिन-जिन एजेंसियों के सामने शिकायतें हुईं हैं वे एजेंसियां शिथिलता पूर्वक काम कर रही है। जिसका फायदा संबंधित को मिल रहा है।
डॉ. केके सक्सेना सीईओ जैसे जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। यदि उन्हें सीईओ से उप महाप्रंधक बनाया जाता है, तो कुछ न कुछ तो कारण होंगे। भोपाल से रीवा तबादला करने के पीछे भी कोई वजह होगी। वरिष्ठ अधिकारी पर किसी तरह के आरोप लगते हैं तो उसकी जांच गंभीरता से व प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए। ऐसे अधिकारी किसानों का हित करेंगे, इस पर संशय है। फेडरेशन व प्रदेश के दुग्ध महासंघ अधिकारियों के नहीं, किसान व उपभोक्ताओं का संरक्षण करने वाले संस्थान हैं। इनकी निष्पक्षता पर बार-बार सवाल उठना और शिकायतें होना गंभीर बात है। तबादला आदेश बदलने के कारणों की जांच होनी चाहिए।
- सुभाष मांडगे, पूर्व चेयरमैन, मप्र कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन
Posted By: Ravindra Soni