Cheetah Project in MP : भोपाल (राज्य ब्यूरो)। कूनो नेशनल पार्क में पिछले दो माह में तीन युवा और तीन शावक चीतों की मौत के बाद भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 'चीता परियोजना संचालन समिति' का गठन कर दिया है। अब चीतों से संबंधित कोई भी निर्णय इस समिति के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा।
समिति में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के पूर्व सदस्य सचिव, कान्हा टाइगर रिजर्व के पूर्व संचालक और ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव डा़ राजेश गोपाल, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक पीआर सिन्हा, पूर्व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक डा़ एचएस नेगी सहित देश के 11 वन्यप्राणी विशेषज्ञों को सदस्य बनाया गया है।
संचालन समिति का कार्यकाल दो साल होगा। इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के चीता विशेषज्ञों को भी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। समिति का काम चीता परियोजना की समीक्षा एवं निगरानी करना और सलाह देना रहेगा। वह चीता पर्यटन के लिए कूनो पार्क पर्यटकों के लिए खोलने और परियोजना में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने पर निर्णय लेगी।
समिति के सदस्य आवश्यकता पड़ने पर कूनो पार्क का दौरा करेंगे और महीने में कम से कम एक बैठक करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर समिति देश और अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों को परामर्श के लिए बुला भी सकेगी। उनके आने-जाने का प्रबंध एनसीटीए करेगा, वहीं गैर सरकारी सदस्यों का यात्रा एवं अन्य आकस्मिक खर्च भी उठाएगा।
बता दें कि एनटीसीए ने 29 मार्च 2023 को उच्चतम न्यायालय में हलफनामा लगाकर कहा था कि अब विशेषज्ञ समिति से दिशा-निर्देश और सलाह लेने की जरूरत और अनिवार्यता नहीं है। चीता परियोजना की निगरानी के लिए टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया है, इसलिए उसे भंग कर दिया जाए। इस समिति का गठन उच्चतम न्यायालय के 28 जनवरी 2020 के आदेश पर किया गया था।
अदालत ने तब कहा था कि यह तीन सदस्यीय समिति भारत में अफ्रीकी चीतों को लाने पर एनटीसीए का मार्गदर्शन करेगी। न्यायालय ने चीता टास्क फोर्स में शामिल विशेषज्ञों की योग्यता और अनुभव की जानकारी मांगी थी। एनजीओ सेंटर फार इनवायरमेंट ला डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन ने कहा कि चीता टास्क फोर्स में चीतों का कोई विशेषज्ञ शामिल नहीं है।
चीतों को यहां ले आए हैं तो एनटीसीए को कम से कम शुरुआती दिनों में विशेषज्ञ समिति के साथ काम करना जारी रखना चाहिए। इसके बाद संचालन समिति का गठन किया गया है, जिसमें विशेषज्ञ समिति के सदस्यों को भी बाहर कर दिया गया है।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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