
नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल: अक्सर लोग परिवार का स्वास्थ्य बीमा इसलिए कराते हैं, ताकि बीमार होने पर इलाज में खर्च हुई राशि का भुगतान नहीं करना पड़े, लेकिन बीमा कंपनियां कोई ना कोई बहाना बनाकर क्लेम देने से इन्कार कर देती है। ऐसे ही एक मामला जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचा। जिसमें उपभोक्ता का बेटा बीमार हुआ तो बीमा कंपनी ने टाइफाइड को सामान्य बीमारी बताकर इलाज में खर्च राशि का भुगतान करने से इन्कार कर दिया।
मामले में जिला उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह व सदस्य अजुम फिरोज की बेंच ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने बीमा कंपनी को दो माह के अंदर इलाज में खर्च राशि 74,722 रुपये और 15 हजार रुपये का मानसिक क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया।
दरअसल, बागमुगालिया निवासी धर्मपाल सिंह ने स्टार हेल्थ एंड एलायड इंश्योरेंस कंपनी लिमि के खिलाफ पिछले साल याचिका लगाई थी। शिकायत थी कि उन्होंने अपने परिवार का 21 जनवरी 2024 से 23 फरवरी 2025 तक के लिए एक स्वास्थ्य बीमा लिया था, जिसके लिए वे 29,960 रुपये प्रीमियम का भुगतान किया था। बीमा लेने के 20 दिन बाद उपभोक्ता का बेटा बीमार हो गया।
पहले उसे तेज बुखार होने के कारण डाक्टर को दिखाया गया तो उसे तीन दिन की दवाई दे दी, लेकिन उसके बाद भी हालत नहीं सुधरी तो एक निजी अस्पताल में दिखाया गया। वहां डाक्टर ने उसे भर्ती करने की बात कही। इसके बाद उसे 14 फरवरी से 10 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया, जिसमें 74 हजार 722 रुपये खर्च हो गए। उन्होंने क्लेम के लिए आवेदन प्रस्तुत किया तो इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि उनके पुत्र को टाइफाइड था, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं थी।
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आयोग ने बताया सेवा में कमी का मामला बीमा कंपनी का कहना था कि बीमा पालिसी में टाइफाइड जैसी बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर दावा नहीं बनता। उपभोक्ता ने आयोग के समक्ष डिस्चार्ज समरी सहित सभी दस्तावेज जमा किए, जिसमें बताया गया है कि युवक को भर्ती करना आवश्यक था। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ता को क्लेम राशि का भुगतान न कर सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापार प्रथा का कार्य किया है।