भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद की निरंतर श्रृंखला के अंतर्गत मातृभाषा मंच के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कुक्कुट भवन सभागृह में आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता संतोष कुमार राउत (पूर्व पुलिस महानिदेशक, मप्र) ने की। इस अवसर पर 'मातृभाषा से आत्म स्वाभिमान का जागरण और आत्मविश्वास में वृद्धि" विषय पर बीज वक्तव्य साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. विकास दवे ने प्रस्तुत किया। गोष्ठी में राजधानी के लगभग 22 भारतीय भाषाओं को बोलने वाले समूहों के प्रतिनिधि एकत्र हुए थे।
गोष्ठी के दूसरे सत्र में रामायण केंद्र के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने 'भारतीय भाषाओं में राम साहित्य" विषय पर कहा कि वाल्मीकि रामायण तथा रामचरितमानस रामकथा के आधार ग्रंथ हैं। समस्त भारतीय भाषाओं में रामायण की रचना हुई है। तमिल में कंब रामायण, तेलुगु में रंगनाथ, मलयालम में अध्यात्म, कन्नड़ में पंप, उड़िया में जगमोहन, बंगला में कृतिवास, असम में माधवकंदली, नेपाली में भानुभक्त, पंजाबी में गोविंद, गुजराती में गिरधर, मराठी में भावार्थ, संस्कृत में राजा भोज की चंपू, भुशुण्डि रामायण, कालिदास की रघुवंशम आदि का वैशिष्टय बताते हुए लगभग 150 रामायणों से श्रोताओं को परिचित कराया। उन्होंने बताया कि लक्ष्मण रेखा का प्रसंग पहली बार कृतिवास रामायण में मिलता है। कार्यक्रम का संचालन अमिताभ सक्सेना ने किया, जबकि मातृभाषा मंच के विनोद कुमार द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
Posted By: Ravindra Soni
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