भोपाल ( नवदुनिया प्रतिनिधि)। संस्कृति विभाग द्वारा 75वें आजादी का अमृत महोत्सव के तहत गणतंत्र दिवस के अवसर पर जनजातीय और लोक कलाओं के 37वें राष्ट्रीय समारोह लोकरंग का शुभारंभ, नवनिर्मित रवींद्र सभागम केंद्र का लोकार्पण एवं राष्ट्रीय नानाजी देशमुख अलंकरण समारोह नवनिर्मित रवींद्र भवन में हुआ। विविधता हमारे देश की धरोहर है। हमारी संस्कृति, साहित्य ,कला का विकास और सुरक्षा हमारा कर्त्तव्य है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और साहित्य में नैतिक मूल्यों और जीवन की उत्कृष्टता का खजाना छुपा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। वहीं लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहें। इस अवसर पर प्रमुख सचिव , संस्कृति शिव शेखर शुक्ला एवं संचालक, संस्कृति आदिति कुमार त्रिपाठी और अन्य अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।
समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमारी कला और संस्कृति अद्भुत है। उन्होंने संस्कृति विभाग को प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले कलाकारों का मंच बनाकर वर्ष में एक बार समागम आयोजित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अब हमारे कलाकारों को राष्ट्रीय सम्मान मिल रहे हैं। पहले गिने-चुने पद्म अवार्ड दिए जाते थे। अब पद्म पुरस्कारों की संख्या बढ़ गई है। आज बताते हुए प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश ने कोरोना रोधी टीके के 11 करोड़ डोज पूरे कर लिए हैं। हमारे टीकाकरण दलों ने विषम से विषम परिस्थितियों में भी टीकाकरण कार्य किया है। सीएम ने कहा कि प्रदेश में बहुत अच्छे कार्य हो रहे हैं, लेकिन मीडिया नकारात्मक सूचनाओ को प्रमुखता देता है। यह पूरा खेल न्यूज वैल्यू का है। इसके पूर्व राज्यपाल श्री पटेल एवं मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दीप प्रज्जवलित कर नवनिर्मित “रवींद्र सभागम केंद्र” का लोकार्पण और लोकरंग समारोह का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में राज्य स्तरीय गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले विजेता विशेष सत्र बल के अधिकारी-कर्मचारियों तथा सांस्कृतिक दलों, लोक नृत्य दलों, कोरोना काल में सक्रिय भूमिका निभाने वाले महानुभावों और सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान भी प्रदान किए गए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मुझे बताते हुए आनंद है कि मध्यप्रदेश के कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करने वाली चार विभूतियों अर्जुन सिंह धुर्वे, रामसहाय पांडेय, दुर्गाबाई और अवध किशोर जड़िया को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में कला, साहित्य, संगीत और नृत्य इत्यादि के क्षेत्र में 148 पुरस्कार दिए जाते हैं। देश का कोई भी राज्य इतने पुरस्कार नहीं देता। उन्होंने संस्कृति विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि पुरस्कार जिस साल घोषित हों, उसी साल दिए जाएं।
मुख्यमंत्री ने सम्मानित विभूतियों से शुभ अवसर पर एक पौधा अवश्य रोपने और प्रकृति संरक्षण में अपना योगदान देने का आव्हान किया। संस्थाएं, विभाग और उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति पुरस्कृत : कार्यक्रम में राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किये गए। झांकियों में पहला स्थान पर्यटन विभाग, दूसरा जेल विभाग, तीसरा वन विभाग को प्राप्त हुआ। साथ ही शासकीय सैन्य दल में प्रथम स्थान एसटीएफ प्लाटून, दूसरा हॉक फोर्स प्लाटून एवं तीसरा छत्तीसगढ़ प्लाटून का रहा। अशासकीय सैन्य दल में एनसीसी गर्ल्स प्लाटून का पहला और एनसीसी बॉयज प्लाटून का दूसरा स्थान रहा। इसके साथ साथ प्रदेश में टीकाकरण में अहम योगदान देने पर स्वास्थ विभाग के डॉ, संतोष शुक्ला, इंजीनियर विपिन श्रीवास्तव, डॉ. अश्विन भागवत को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में भील जनजातीय कलाकारों के दल को भी सम्मानित किया गया। इसी अवसर पर राष्ट्रीय नानाजी देशमुख सम्मान प्रदान किये गए, जिसमें भाऊ साहब भुस्कुटे सेवा न्यास, होशंगाबाद (वर्ष-2013), उत्तरांचल उत्थान परिषद, मनेरी (वर्ष-2014), आचार्य प्रदीप कौशिक, झारखंड (वर्ष-2015), संस्था सम्पर्क झाबुआ (वर्ष-2016), सोपान जोशी, दिल्ली (वर्ष-2017), डॉ. शंकर अभ्यंकर (वर्ष-2018), संस्थाः नर्मदा खरगोन (वर्ष-2019), गौमुखी सेवा धाम, कोरबा (वर्ष-2020) को दिया गया।
अन्नू ने पेश की अपनी कंपोजिशन
अगले क्रम में सुगम संगीत कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक अन्नू कपूर, मुंबई और अनुभव सुमन, सुप्रिया जोशी, साहिल सोलंकी, ऐश्वर्या पंडित द्वारा प्रस्तुति दी गई। कलाकरों ने आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है..., रंग दे बसंती..., ये मेरे वतन के लोगों ..., है रीत जहां की प्रीत..., ए मेरे प्यारे वतन तुझपे दिल कुर्बान..., मेरे वतन अवाद रहे..., एवं गायक अन्नू कपूर के द्वारा तैयार की गई बनारस की विद्याधरी देवी पर आधारित कंपोजिशन भारत न रह सकेगा हरगिज गुलाम खाना... को पेश किया। इसके साथ ही उन्होंने नीरा आर्या, बटुकेश्वर की गाथाओं को संगीत में पिरोकर कर प्रस्तुत किया।
Posted By: Lalit Katariya
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