
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए इस शैक्षणिक सत्र में 18 अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाण पत्र लगाए, जो सीट आवंटन के बाद कॉलेजों में प्रवेश के समय दस्तावेज सत्यापन में पकड़े गए। दो के विरुद्ध भोपाल में एफआईआर भी दर्ज की गई। आशंका है कि पिछले वर्षों में भी इस तरह फर्जी प्रमाण पत्र से प्रवेश हुए हों। इस बार पहले से ही सजगता रही तो अभ्यर्थी पकड़े गए, पर पिछले सत्रों में इस तरह की गड़बड़ी की कोई जांच चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने नहीं कराई।
बता दें कि इस वर्ष मूल निवासी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सरकारी स्कूल कोटा, जाति प्रमाण पत्र और एनआरआई कोटे फर्जी प्रमाण पत्र मिल चुके हैं। सबसे पहले विदिशा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोटे का प्रमाण पत्र संदिग्ध मिला था।
इसके बाद संचालक चिकित्सा शिक्षा अरुणा कुमार ने सभी कालेजों को प्रवेश के दौरान अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की गहराई से जांच करने के लिए कहा था। इसके बाद पहले चरण, दूसरे और मापअप चरण में लगातार फर्जी प्रमाण पत्र मिले। इसी तरह से शैक्षणिक सत्र 2024-25 में लगभग 50 अभ्यर्थियों ने मूल निवासी प्रमाण पत्र फर्जी लगाए थे।
सीट आवंटन के पहले ही यह गड़बड़ी पकड़ी गई थी, पर उसके पहले के वर्षों में प्रवेशित विद्यार्थियों के मूल निवासी प्रमाण पत्रों की जांच नहीं कराई गई। इस मामले में संचालक चिकित्सा शिक्षा अरुणा कुमार का कहना है कि पिछले वर्षों की काउंसलिंग के दस्तावेजों की जांच कराना कठिन होगा।