
नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। भोपाल जंक्शन पर पार्सल व्यवस्था लगातार दबाव में है और इसका सीधा असर व्यापारियों व आम लोगों पर पड़ रहा है। इंटरनेट मीडिया पर रोज ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं कि तय तारीख पर पहुंचने वाले पार्सल कई-कई दिनों तक अटके रहते हैं। जांच में सामने आया कि स्टेशन पर प्रतिदिन करीब 2,000 पार्सल की आवाजाही होती है, जबकि इन्हें संभालने के लिए मात्र 14 कर्मचारी ही तैनात हैं। त्योहार और शादी के सीजन में दबाव और बढ़ जाता है। सीमित स्टाफ, लोडिंग-अनलोडिंग में देरी और तकनीकी खामियों के कारण पार्सल समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
रोजाना 70-80 ट्रेनों में पार्सल की बुकिंग और अनलोडिंग की जाती है, जिसमें प्रतिदिन 15-20 बाइकों की आवाजाही भी शामिल है। त्योहार और शादी के सीजन में पार्सलों की संख्या 30-40 फीसदी तक बढ़ जाती है, जिससे रेलवे का पार्सल सिस्टम दबाव में आ जाता है। लोडिंग-अनलोडिंग में देरी के कारण कई बार पार्सल ट्रेनों से छूट जाते हैं। स्टाफ की कमी से स्कैनिंग व रिकार्ड एंट्री में गलतियां होती हैं, जिससे पार्सल की ट्रैकिंग प्रभावित रहती है। गलत ट्रेन में पार्सल लोड होने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे शिकायतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
भोपाल के छोटे व्यापारियों और ई-कॉमर्स सप्लायर्स का बड़ा हिस्सा रेलवे पार्सल पर ही निर्भर है। पार्सल समय पर न पहुंचने से ऑर्डर कैंसिल होने लगते हैं और कंपनियों के टर्नअराउंड टाइम पर सीधा असर पड़ता है। मेडिकल इक्विपमेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, मशीन पार्ट जैसे जरूरी सामान की सप्लाई भी प्रभावित होती है। व्यापारियों की शिकायत है कि समय पर पार्सल न पहुंचे तो नुकसान सीधे हमारी जेब पर पड़ता है।
पार्सल यार्ड में मात्र 14 कर्मचारियों से 24 घंटे की मल्टीपल शिफ्ट संभालना बेहद कठिन हो गया है। कर्मचारियों का कहना है कि एक शिफ्ट में 4-5 लोग पूरे यार्ड की लोडिंग, अनलोडिंग, स्कैनिंग और रिकार्ड का काम नहीं संभाल सकते। छुट्टी, बीमारी या आकस्मिक हालात में तो सिस्टम पूरी तरह लड़खड़ा जाता है। भारी पार्सल उठाने के कारण चोट लगने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। स्टाफ के मुताबिक ऐसी स्थिति में काम का बोझ ही नहीं, सुरक्षा जोखिम भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
पार्सल विभाग का रेवेन्यू हर साल बढ़ रहा है, लेकिन स्टाफ बढ़ोतरी नहीं होने से काम का दबाव लगातार बढ़ा है। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि मात्र 14 कर्मचारियों के बूते इतनी बड़ी पार्सल व्यवस्था संभालना चुनौती है। वे जल्द ही रिक्त पद भरने और नए डिजिटल स्कैनर लगाने की तैयारी का दावा कर रहे हैं, ताकि लोडिंग-अनलोडिंग और स्कैनिंग प्रक्रिया तेज हो सके। हालांकि, जमीनी स्तर पर अभी सुधार बहुत कम दिख रहा है, जिससे यात्रियों और व्यापारियों दोनों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
रेलवे प्रशासन की प्राथमिकता है कि हर पार्सल समय पर यात्रियों और व्यापारियों तक पहुंचे। स्टेशन पर वर्तमान में करीब 40 कर्मचारियों की टीम कार्यरत है, जिसे जरूरतों के अनुरूप पर्याप्त माना जा रहा है। हालांकि, कुछ मामलों में देरी की शिकायतें सामने आती हैं, लेकिन उन्हें कम करने के लिए लगातार सुधार किए जा रहे हैं। पार्सल प्रबंधन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए जल्द ही नया टेंडर जारी किया जाएगा, ताकि लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। - नवल अग्रवाल, पीआरओ, भोपाल मंडल