Ken Betwa Link Project : भोपाल(राज्य ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की प्यास बुझाने वाली बहुप्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक परियोजना का काम एक कदम और आगे बढ़ा है। बांध के डूब क्षेत्र में आ रही भूमि के बदले 5,483 हेक्टेयर भूमि वन विभाग को सौंप दी है।
यह पार्क के नजदीक की राजस्व भूमि है। जिसमें अभी 21 गांव हैं। पन्ना और छतरपुर जिलों की इस भूमि का वन विभाग के नाम पर नामांतरण कराया जाएगा और फिर पौधा रोपण की योजना तैयार की जाएगी। इसके साथ ही दौधन बांध के निर्माण को लेकर वन विभाग की अनुमति मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है।
परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व की छह हजार 17 हेक्टेयर भूमि डूब रही है। इसमें 4141 हेक्टेयर भूमि कोर एरिया की है। ऐसे में पार्क के वन्यप्राणियों को दूसरे स्थान पर सुरक्षित बसाने के लिए कोर एरिया को विस्तार देने की योजना है। इसके लिए पार्क से सटे 21 गांवों को विस्थापित किया जाएगा।
इनमें सात गांव पन्ना और 14 गांव छतरपुर जिले के हैं। दोनों जिलों के कलेक्टरों ने इन गांवों की संपत्ति का सर्वे पूरा कर रिपोर्ट सौंप दी है और जल संसाधन विभाग ने वन विभाग को भूमि सौंपने की औपचारिकता भी पूरी कर दी है। अब भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) लैंडस्केप मैनेजमेंट प्लान बनाएगा। जिसमें तय होगा कि हाल ही में मिली भूमि पर कहां, कितने और किस प्रजाति के पौधे रोपे जाएंगे।
पौधारोपण के लिए राशि भी मिलेगी
जल संसाधन विभाग इस भूमि पर पौधारोपण के लिए पहले ही तीन सौ करोड़ रुपये दे चुका है। लैंडस्केप मैनेजमेंट प्लान आने के बाद पता चलेगा कि कितनी राशि की और जरूरत है। अंतर की राशि मिलने के बाद वन विभाग परियोजना की अनुमति देगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय की देखरेख में परियोजना पूरी होगी।
परियोजना एक नजर में ...
परियोजना की लागत : 44 हजार 605 करोड़ रुपये
केंद्र सरकार देगी : 90 प्रतिशत राशि
राज्य सरकार देंगी : 5-5 प्रतिशत राशि
केन-बेसिन से उप्र में सिंचाई : 2.27 लाख हेक्टेयर
केन-बेसिन से मप्र में सिंचाई : 4.47 लाख हेक्टेयर
बेतवा बेसिन से मप्र में सिंचाई : 2.06 लाख हेक्टेयर
मध्य प्रदेश के हिस्से में जाएगी : बिजली
इनका कहना है
जल संसाधन विभाग ने चयनित भूमि सौंपने की सूचना दी है। मैदानी अधिकारियों से इसका परीक्षण करा रहे हैं। इसके बाद पौधारोपण योजना पर काम शुरू होगा।
सुनील अग्रवाल, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, भूमि प्रबंधन
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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