Madhya Pradesh Assembly: भोपाल। नवदुनिया स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर नशे का गढ़ बनता जा रहा है। एक अप्रैल 2020 से 31 जनवरी 2021 तक एनडीपीएस अधिनियम के तहत प्रदेश में दर्ज आंकड़ों के करीब एक चौथाई केस इंदौर में दर्ज हुए हैं। इस अवधि में प्रदेश में 2508 प्रकरण दर्ज किए गए। इनमें से इंदौर में दर्ज मामलों की संख्या 685 रही। यह आंकड़े इंदौर के लिए चिंताजनक हैं। इस शहर में नशे के सौदागरों ने युवा पीढ़ी को नशे की लत लगा दी है।
एक सवाल के जवाब में विधानसभा में एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों की जानकारी दी गई। इंदौर के अलावा रीवा में 188, शहडोल में 136, भोपाल में 65, ग्वालियर में 41 और जबलपुर में 75 केस दर्ज किए गए। वहीं, कुछ शहर ऐसे भी हैं, जहां यह संकट अभी कम है। इनमें आलीराजपुर, उमरिया, होशंगाबाद, बैतूल, खंडवा, बालाघाट, मंडला और डिंडौरी हैं। यहां दस से कम प्रकरण दर्ज किए गए हैं। उधर, अफीम उत्पादक जिले मंदसौर में 87 केस दर्ज किए गए।
इंदौर में इसलिए अधिक केस
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि इंदौर में युवा पीढ़ी को बदमाशों ने गिरफ्त में ले लिया है। वे विद्यार्थियों को निशाना बना रहे हैं। वे विद्यार्थियों को यह कहकर भ्रमित करते हैं कि इन दवाइयों से एकाग्रता बढ़ेगी और नींद नहीं आएगी। अधिक देर पढ़ाई करने के लालच में विद्यार्थी नशे के सौदागरों की बातों में आ जाते हैं और कुछ ही दिन में इस लत के आदी हो जाते हैं।
विद्यार्थियों के बड़े वर्ग में पैठ होने के बाद अब वे अपने साथियों को इस लत का शिकार बना रहे हैं। इसके अलावा हुक्का लाउंज और नाइट क्लब प्रदेश में नशे के अड्डे बन गए हैं। विधानसभा में प्रस्तुत आंकड़ों को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मामले में टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। हालांकि उनका कहना है कि बड़े शहरों में नशे के कारोबारियों ने पैठ बना ली है। युवा वर्ग ही उनके लिए काम करने लगा है। प्रकरण अधिक होने के पीछे उनका तर्क है कि पुलिस मुस्तैदी से कार्रवाई कर रही है, इसलिए संख्या अधिक दिखने लगी है।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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