Madhya Pradesh News: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। पहली से 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के ठीक पहले स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिशेष शिक्षकों के तबादले की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अतिशेष शिक्षकों की सूची तैयार कर दावे-आपत्ति बुलाए जा रहे हैं। इससे शिक्षक परेशान हैं, वे बच्चों को परीक्षा की तैयारी कराना छोड़कर इस कोशिश में लग गए हैं कि कहीं और न जाना पड़े। इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

अकेले भोपाल जिले की बात करें तो 1159 शिक्षक अतिशेष हैं। ऐसे ही स्थिति प्रदेश में अन्य जिला मुख्यालयों पर भी हैं। एजुकेशन पोर्टल पर उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार प्रदेश में 38,491 शिक्षक अतिशेष हैं। शिक्षक खुद भी परीक्षा के ठीक पहले शुरू की गई अतिशेष प्रक्रिया पर भी रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

अक्टूबर, 2022 में बड़े स्तर पर शिक्षकों के तबादले हुए हैं। तबादले करते समय विभाग ने यह नहीं देखा कि शहरों में स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक तबादला करवा रहे हैं और आज हालात ऐसे बन गए हैं कि शहरों में शिक्षक अतिशेष हो गए हैं। अब अतिशेष शिक्षकों के नाम पर फिर से तबादले का दौर शुरू होगा।

शिक्षक इसका भी विरोध कर रहे हैं कि पुराने शिक्षकों को ही अतिशेष माना जा रहा है। जबकि वे खाली पद पर संबंधित स्कूल में आए थे। वे कहते हैं कि इसके बजाय स्कूल में हाल ही में पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष की श्रेणी में रखा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें पद न होने पर भी पदस्थ किया गया है।

बता दें कि तबादले के दौरान 400 से अधिक शिक्षकों को अन्य जिलों से भोपाल शहर में पदस्थ किया गया है। यही कारण है कि इन शिक्षकों को चार माह से वेतन नहीं मिल पा रहा है।

अतिशेष की सूची में दिव्यांग और बीमार भी

विभाग ने अतिशेष शिक्षकों की सूची में दिव्यांग, एक साल में सेवानिवृत्त होने वाले और गंभीर बीमारी वाले शिक्षकों को भी शामिल किया है। जबकि प्रविधान यह है कि 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग को अतिशेष मानकर नहीं हटाया जा सकता है। वहीं जिसकी एक साल नौकरी बची है और जो गंभीर बीमार है। उसे भी अतिशेष नहीं माना जा सकता है।

इनका कहना है

प्रदेश में 38 हजार से अधिक अतिशेष शिक्षकों की सूची तैयार की गई है। तबादला करना ही है, तो परीक्षा के बाद भी किया जा सकता है। तब तक विभाग को यह प्रक्रिया रोक देनी चाहिए।

- उपेन्द्र कौशल, कार्यकारी अध्यक्ष, शासकीय शिक्षक संगठन

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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