MP Board 10th-12th Result: भोपाल। एमपी बोर्ड परीक्षा के गुरुवार को जारी होने वाले परिणामों के लिए विद्यार्थियों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा मंडल के टोल फ्री नंबर पर परिणाम जारी होने से एक दिन पहले बुधवार को 25 सौ विद्यार्थियों व अभिभावकों ने काल जानकारी ली, जिनका काउंसलरों ने मार्गदर्शन किया उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। यह सिलसिला सीबीएसई के परिणाम के बाद से शुरू हो गया था।

नवदुनिया ने परीक्षा परिणाम जारी होने के एक दिन पहले करियर काउंसलरों से बातचीत कर विद्यार्थियों से जुड़े सवालों पर बातचीत की। उनका कहना है कि परीक्षा के परिणाम से विद्यार्थियों को घबराने की जरूरत नहीं है, जो भी परिणाम आएं उसे स्वीकार करें। हताश न हों। आत्मविश्लेषण करें और फिर से मेहतन करने जुट जाएं। इसके साथ ही खुद को कभी कम न आकें।

90 प्रतिशत काल परिणामाें से संबंधित

अभी हमारे पास 90 प्रतिशत काल परीक्षा के परिणामों से संबंधित ही आ रहे हैं।परिणाम कब आएगा। परिणाम किस साइड पर देख पाएंगे। कुछ विद्यार्थी बारहवीं के बाद हायर एजुकेशन के लिए विषय चुनने के लिए काल कर रहे हैं।जबकि दसवीं के विद्यार्थी स्ट्रीम के लिए फोन लगा रहे हैं।इस दौरान हर दिन दाे से ढाई हजार के बीच काल आ रही है। जिसमें काउसंलरों द्वारा मार्गदर्शन किया जा रहा है।

- डा. हेमंत शर्मा, डायरेक्टर माशिमं

माशिमं के पास बच्चे पूछ रहे ये सवाल

- सीबीएसई की रिजल्ट का गया है एमपी बोर्ड का कब आएगा।

- मैंने परीक्षा अच्छी दी थी गणित में कितने अंक आएंगे।

- बेस्ट आफ फाइव योजना के बारे में बता दीजिए।

- यदि प्रवीण्य सूची में नाम आता है तो इसमें क्या योजना है

- स्कालरशिप कैसी मिलती है

अभिभावक यह करें

- बच्चों का अंकों से आकलन न करें

- कम अंक आने पर उनकी तुलना दूसरे बच्चों के साथ न करें। तुलना करने से बच्चों के अंदर खुद से प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाती है।

-रिजल्ट आने के बाद बच्चों पर नजर रखें।

- ज्यादा से ज्यादा समय बच्चों को दें, साथ रहे।

- बच्चों से हमेशा बातचीत करें।

चितां नहीं, चितंन करें

जिदंगी में उतार-चढ़ाव लगा रहता है। जो विद्यार्थी परीक्षा में विफल हुए उन्हें निराश होने की बजाए आत्म मूल्यांकन करन होगा। आगे का सोचना होगा। कमजोरियों पर काम करना होगा।अपनी गलती से सीखने की जरूरत है। टाइम टेबल बनाकर तैयारी करनी होगी। जीवन में लक्ष्य बनाना होगा। जितने अंक चाहिए उसको अपने कमरे में लगा लें। कुल मिलाकर विद्यार्थियों को चिंता नहीं चिंतन करने की जरूरत है।

- गौरव श्रीवास्तव, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता

Posted By: Lalit Katariya

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