भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश के शासकीय अस्पतालों व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में रोबोटिक फिजियोथेरेपी की सुविधा नहीं है। इस कारण 200 से अधिक मरीज रोबोटिक फिजियोथेरेपी कराने के लिए मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद पहुंच रहे हैं। इनमें राजधानी भोपाल के भ्ज्ञी 40 से 50 मरीज शामिल हैं। इसे देखते हुए प्रदेश के बड़े अस्पतालों में यह मशीन लगाए जाने की मांग उठने लगी है। शासकीय फिजियोथेरेपिस्ट ने गांधी मेडिकल कालेज के डीन डा. अरविंद राय को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है।
दरअसल, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य कारणों से लकवा होने के बाद कमजोर हो चुके हाथ को रोबोटिक फिजियोथेरेपी से एक माह में मजबूती प्रदान की जाती है। इसमें करीब आठ माह का समय लगता है। लंबे समय तक चलने वाली इस थेरेपी के कारण अधिकतर मरीज बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं। ऐसे में अगर यह मशीन आई तो लोगों काफी लकवे के मरीजों को काफी राहत मिल सकेगी। इसके बाद हमीदिया और एम्स भोपाल में इस मशीन को लाने के लिए तैयारियां की जा रही है।
एक घंटा व्यायाम करवाता है रोबोट
फिजियोथेरेपिस्ट सुनील पांडे बताया कि यह रोबोट प्रतिदिन मरीज की कलाई और अंगुली का एक घंटे व्यायाम करवाता है। सप्ताह में पांच दिन यह व्यायाम चलता है। ऐसे में एक माह में केवल 20 दिन का ही कोर्स होता है। उन्होंने कहा कि यह फिजियोथेरेपी ऐसे मरीजों पर कारगर साबित हो रही है, जिनका हाथ लकवे के बाद अकड़ जाता है या काम नहीं कर पाता। इसे सफलतापूर्वक दिल्ली एम्स में उपयोग किया जा रहा है।
इन बीमारियों के इलाज में हो रहा उपयोग
रोबोटिक फिजियोथेरेपी का उपयोग न्यूरोमस्कुलर व ब्रेन इंजुरी एवं रीढ़ की हड्डी से जुड़ी जटिल समस्याओं, पैरालिसिस, सेरेब्रल पाल्सी, मल्टीपल इस्कलोरोसिस, स्ट्रोक आदि में कारगर है।
अस्पताल में रोबोटिक फिजियोथेरेपी के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह आधुनिक व्यवस्था हमारी जानकारी में है।
- डा. आशीष गोहिया, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल
Posted By: Ravindra Soni