मदनमोहन मालवीय, भोपाल। प्रदेश में कुछ जगहों पर राष्ट्रीय और प्रदेश राज्यमार्गों पर घूम रहे गोवंशों को आश्रय देने के लिए 64 करोड़ 60 लाख की लागत से 17 गोवंश वन्य विहार बनाए जाएंगे। मध्यप्रदेश गोसंवर्धन बोर्ड ने इसको लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया है। जिलों में जगह देखने के लिए कलेक्टरों द्वारा सर्वे शुरू कर दिया है। जगह मिलते ही इनका निर्माण शुरू किया जाएगा। इन गोवंश वन्य विहारों का निर्माण पूरा होने से सड़कों पर गोवंश की समस्या कम होगी और हादसों में कमी आएगी। किसानों की फसल के नुकसान को रोका जा सकेगा और साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। बता दें कि राजधानी सहित प्रदेश की प्रमुख सड़कों पर लगभग साढ़े आठ लाख मवेशी घूम रहे हैं, जो कि हादसे के साथ ही किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाने का कारण बनते हैं।

जबलपुर सहित इन जिलों में चल रहा सर्वे

गोवंश वन्य विहार बनाने के लिए मध्यप्रदेश में विभिन्न जिलों के कलेक्टरों को जमीन चिह्नित करने का जिम्मा सौंपा है। इनमें जबलपुर, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा आदि शामिल हैं। जबलपुर की कुंडम तहसील की गंगईवीर जंगल में 530 एकड़ जमीन है। बाकि अन्य जिलों में जमीन को चिह्नित किए जाने का सर्वे चल रहा है। कलेक्टर जगह मिलने के बाद उसकी फाइल बनाकर शासन को भेजेंगे और अनुमति मिलते ही उक्त जमीन पर गोसंवर्धन बोर्ड द्वारा गोवंश वन्य विहार का काम शुरू किया जाएगा।

35 एकड़ भूमि में बनाया गया पहला वन्य विहार

रीवा जिला के वसावन मामा नामक स्थान पर पहला गोवंश वन्य विहार बनाया गया है। जो कि लगभग 35 एकड़ भूमि में स्थापित है, जिसमें सात गोशालाओं का निर्माण शासन द्वारा कराया गया है। इसके निर्माण में लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये का खर्च आया था। इसके संचालन के लिए एक समिति बनाई गई है, जिसमें एक प्रबंधक, दो सहायक प्रबंधक व तीन अन्य कर्मचारी और छह महिला कर्मचारी शामिल हैं। प्राथमिक तौर पर इनमें चार हजार गोवंश रखे गए हैं। वहीं उद्योग उपक्रमों के सीएसआर फंड के आर्थिक सहयोग से दो करोड़ रुपये की राशि बैक में स्थायी निधि के रूप में जमा कराई गई है। उससे मिलने वाले ब्याज से हर महीने कर्मचारियों को मानदेय दिया जाता है, जिसमें महिलाकर्मी को पांच हजार और पुरुषकर्मी को छह हजार रुपये दिया जाता है।

3.80 करोड़ से बनेगा एक वन्य विहार

एक गोवंश वन्य विहार बनाने में लगभग तीन करोड़ 80 लाख रुपये का खर्च आएगा। वन्य विहार का आशय वृहद आकारीय गोशाला से है, जो कि 10 गोशालाओं के बराबर एक ही होती है। इसमें छह से आठ ग्राम पंचायत शामिल होती हैं। मनरेगा के बजट से एक गोशाला 38 लाख रुपये से बनाई जाती है। सभी वन्य विहार जंगल के पास ही बनाए जाएंगे, जहां से गोवंश सुबह आठ से शाम चार बजे तक चारा चरने के बाद वापस वन्य विहार में आएंगे। जहां उनके लिए चारा-भूसा, सुदाना की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए शासन प्रति गोवंश 20 रुपये प्रतिदिन सहायता राशि देता है। साथ ही स्थानीय विधायक अपनी निधि से और संस्कृतिक व पर्यटन विभाग द्वारा भी आर्थिक सहायत दी जाती है।

साढ़े आठ लाख निराश्रित गोवंश को मिलेगा आश्रय

गोवंश वन्य विहार बनने से साढ़े आठ लाख निराश्रित गोवंश को आश्रय मिलेगा। दरअसल वर्ष 2019 में हुई 20वीं गणना के अनुसार राज्य में निराश्रित गोवंश की संख्या 8.54 लाख है। 21वीं पशु गणना 2024 में होगी। इसमें निराश्रितों की संख्या दोगुनी हो सकती है। ऐसे में यदि गोवंश वन्य विहार समय पर बनकर तैयार हुए थे इन निराश्रित गोवंश में कमी आएगी।

फैक्ट फाइल

गोवंश वन्य विहार - 17

लागत प्रति वन्य विहार - 3 से 4 करोड़

एक वन्य विहार में पंचायत - 7 से 8

संचालन समिति - प्रबंधक सहित 12 सदस्य

इनका कहना है

मध्यप्रदेश में गोवंशों को संरक्षण व सुरक्षा देने के लिए गोवंश वन्य विहार नाम से 17 आश्रय स्थल स्थापित किए जाएंगे। इनमें से एक रीवा में किया जा चुका है। बाकि के लिए जिलों के कलेक्टर को कहा गया है। वह स्थान चिह्नित कर बताएंगे। इसके बाद इनका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

- स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी, अध्यक्ष, गोसंवर्धन बोर्ड, मध्यप्रदेश

Posted By: Ravindra Soni

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