भोपाल (राज्य ब्यूरो)। इंदौर में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आनंद प्रकाश राणे के विरुद्ध सरकार ने न्यायालय में चालान प्रस्तुत करने के लिए विशेष स्थापना पुलिस, लोकायुक्त संगठन को स्वीकृति नहीं दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय को हुई मंत्रिपरिषद समिति की बैठक में अभियोजन स्वीकृति के प्रस्ताव पर विचार कर निर्णय लिया गया। पिछड़ा वर्ग विभाग के सहायक संचालक आशीष दीक्षित के विरुद्ध चालान प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई।

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि समिति के सामने पांच वे प्रकरण रखे गए थे, जिनमें प्रशासकीय विभाग अभियोजन की स्वीकृति देने के पक्ष में नहीं थे। इंदौर में पदस्थ तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आनंद प्रकाश राणे के प्रकरण में समिति ने पुन: परीक्षण के निर्देश दिए थे। लोक निर्माण विभाग अपने पक्ष पर अडिग रहा और अंतत: समिति ने अभियोजन की अनुमति देने से मना कर दिया। राणे पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप थे। लोकायुक्त संगठन ने जांच में 1992 से 2016 तक की वैध आय की तुलना में खर्च एक करोड़ 78 लाख 77 हजार 312 रुपये अधिक पाया था। इस आधार पर राणे के विरुद्ध न्यायालय में चालान प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी गई थी। जबकि, विभाग ने राणे के अभ्यावेदन के आधार पर तर्क दिया था कि आय-व्यय की गणना में भाई, पिता के आय-व्यय को भी शामिल किया गया है, जो उचित नहीं है।

बैठक में सहायक आबकारी अधिकारी उज्जैन राजीव मुदगल, कटनी के जिला आबकारी अधिकारी आरसी त्रिवेदी और लिपिक बद्री प्रसाद शुक्ला व तत्कालीन उप पंजीयक उज्जैन माखनलाल पटेल के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति के प्रस्तावों पर पुन: परीक्षण कराने का निर्णय लिया है। छात्रवृति के नाम पर 25 हजार रुपये की रिश्वत से जुड़े मामले में सहायक संचालक आशीष दीक्षित के विरुद्ध विधि विभाग न्यायालय में चालान प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी।विभाग का तर्क था कि दीक्षित और शिकायतकर्ता के बीच 14 मई 2019 को जो बात हुई, वह 25 हजार रुपये की रिश्वत की बात को प्रमाणित करती है और उस वार्ता को समग्रता में देखे जाने की आवश्यकता है। हालांकि, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग इसके पक्ष में नहीं था लेकिन समिति ने विधि विभाग के तर्क से सहमति जताते हुए अनुमति देने का निर्णय लिया।

Posted By: Ravindra Soni

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