भोपाल (नवदुनिया स्टेट ब्यूरो), MP News। मैदानी अधिकारियों और अमले में प्रशासनिक कसावट लाने के लिए वन विभाग ने जिला वनमंडल अधिकारी (डीएफओ) की प्रशासनिक दक्षता का आकलन शुरू कर दिया है। उन्हें 12 पैमानों पर खरा उतरना होगा। प्रत्येक कार्य के लिए अंक तय हैं और 120 में से 80 अंक लाना अनिवार्य है। इससे कम अंक आने पर नोटिस दिया जाएगा। इसके बाद भी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ, तो ये नाकामी गोपनीय चरित्रावली (सीआर) में दर्ज की जाएगी। इस आधार पर मैदानी पदस्थापना से हटाने या नहीं भेजने का फैसला होगा। इसमें ज्यादा लापरवाही करने वाले अधिकारी 20-50 फार्मूले के दायरे में भी आ सकते हैं। विभाग के आला अधिकारियों को लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि जिलों में ठीक से कामकाज नहीं हो रहा है।
राजधानी या महानगरों के नजदीकी जिलों में पदस्थ अधिकारी अपडाउन करते हैं। इसे रोकने के लिए विभाग की तकनीकी शाखा ने प्रशासनिक दक्षता सॉफ्टवेयर विकसित किया और प्रशासनिक दक्षता के 12 पैमाने तय किए हैं। इनके लिए अलग-अलग अंक दिए जाएंगे। अधिकारियों को हर महीने की एक से 10 तारीख तक सॉफ्टवेयर में अपने कामकाज की जानकारी प्रमाण सहित देना होगी। 10 तारीख के बाद यह सुविधा बंद कर दी जाएगी। फिर सॉफ्टवेयर से अंक जेनरेट होंगे। इस आधार पर अधिकारी को महीनेभर का परफार्मेंस तय होगा। ज्ञात हो कि प्रदेश में 63 वनमंडल अधिकारी है।
ये है 20-50 फार्मूला : मैदानी पदस्थापना में जिन अधिकारियों का अच्छा काम नहीं होगा। उनकी सीआर खराब होगी। ऐसे अधिकारी 20 साल की सेवा और 50 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं, तो भारत सरकार के नियम के अनुसार उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने पर विचार किया जा सकता है। पिछले सालों में प्रदेश के दो आइएएस, दो आइपीएस और एक आइएफएस अधिकारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है।
जिला स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट लाने की व्यवस्था है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अफसर बेहतर काम करेंगे। - राजेश श्रीवास्तव, वन बल प्रमुख
Posted By: Prashant Pandey
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