सौरभ शर्मा के पीछे छिपे राजनेताओं को एक तरह से मिल गई क्लीनचिट, सब स्क्रिप्ट के अनुसार चल रहा
लोकायुक्त संगठन में महानिदेशक रहे अरुण गुर्टू कहते हैं कि अब तक जो तस्वीर सामने आई है, उससे लगता है लोकायुक्त पुलिस सौरभ शर्मा का कुछ नहीं कर पाएगी। उसका, उसके रिश्तेदारों का या संरक्षण देने वालों का कहीं से कोई भी लिंक प्रापर्टी से नहीं जुड़ रहा है। आरोपितों ने ऐसी फुलप्रूफ तैयारी की हुई है कि आगे भी लोकायुक्त पुलिस इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
Publish Date: Wed, 02 Apr 2025 06:05:19 PM (IST)
Updated Date: Wed, 02 Apr 2025 06:11:45 PM (IST)
भ्रष्ट परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा।HighLights
- आरोपियों को मिली जमानत यानी पहले से लिखी पटकथा के अनुसार ही चल रही कार्रवाई।
- 52 किलो सोना और लगभग 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी, यह रहस्य तो बना ही रहेगा।
- सौरभ शर्मा ने बेदाग बचाने के आश्वासन पर ही जांच एजेंसियों के सामने मुंह नहीं खोला था।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। काली कमाई के प्रतीक बने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के कथित मददगार और उसके पीछे छिपे नेताओं को बचाने जो पटकथा लिखी गई थी, उसी के अनुसार अब उनके चेहरों का दाग दिख नहीं पाएगा। सौरभ शर्मा और उसके साथियों को लोकायुक्त की विशेष कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब आयकर विभाग द्वारा जब्त 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी है, यह रहस्य भी बना ही रहेगा।
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- माना यही जा रहा है कि सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी नेताओं को बचाने के लिए ही लोकायुक्त पुलिस सहित ईडी और आयकर विभाग ने उनका नार्को टेस्ट कराकर सच्चाई सामने लाने का प्रयास नहीं किया।
- यह जांच की कमजोरी ही कही जाएगी कि तीन जांच एजेंसियां आयकर विभाग, ईडी और लोकायुक्त पुलिस भी पता नहीं लगा पाई कि लावारिस पड़ी कार में रखा 52 किलो सोना और लगभग 11 करोड़ रुपये नकदी का असली मालिक कौन है।
सुरक्षित रखने के आश्वासन पर ही सौरभ ने किया था सरेंडर मामला सामने आने के 40 दिन बाद 28 जनवरी को सौरभ शर्मा को लोकायुक्त पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया था।
इससे एक दिन पहले उसने आत्मसमर्पण के लिए भोपाल जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत होकर प्रार्थनापत्र दिया था। ![naidunia_image]()
- इस पर अगले दिन सुबह सुनवाई होनी थी। इसके पहले नाटकीय गिरफ्तारी से स्पष्ट हो गया था कि सौरभ शर्मा और उसके पीछे छिपे चेहरों को बचाने के लिए पटकथा लिख ली गई है।
- यह संदेह भी सही निकला कि सौरभ ने बेदाग बचाने के आश्वासन पर ही जांच एजेंसियों के सामने मुंह नहीं खोला और सरेंडर भी कर दिया।
- जानबूझकर नहीं कराया नार्को टेस्ट लोकायुक्त पुलिस, ईडी और आयकर विभाग ने भी विवेचना में लापरवाही बरती।
- पूर्व पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जानबूझकर उसका नार्को टेस्ट नहीं कराया गया।
- लोकायुक्त पुलिस कहती रही कि 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी है, यह प्रमाणित करना आयकर विभाग का काम है क्योंकि उसने ही गाड़ी से यह नकदी और सोना बरामद किया है।
लोकायुक्त पुलिस का तर्क गले उतरने वाला नहीं
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस का यह तर्क अजीबोगरीब है कि मामला गंभीर है।
- इसलिए सभी दस्तावेज व साक्ष्यों के पूर्ण परीक्षण के बाद अभियोजन की स्वीकृति मिलने पर चार्जशीट पेश की जाएगी।
- यह बात अपने दायित्वों के प्रति अयोग्यता या सरकारी दबाव या भारी भरकम भ्रष्टाचार में भी भ्रष्टाचार होने का स्पष्ट संकेत हैं।
- 60 दिनों की अवधि में चालान पेश करने की बाध्यता के बावजूद लोकायुक्त पुलिस ने कानून की मंशा के विरुद्ध समय पूर्व इस संबंध में तैयारी क्यों नहीं की गई।