Presidential Election: धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। वैसे तो राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से न होने के चलते वोटों का जातीय समीकरण प्रभावशाली नहीं रहा है, लेकिन इस बार भाजपा ने इस चुनाव में भी आदिवासी कार्ड खेलकर कांग्रेस को बड़ी राजनीतिक चुनौती दे दी है। विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नामांकन में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी ने भाजपा को यह कहने का बड़ा मौका दे दिया कि जब पहली बार आदिवासी समुदाय से कोई राष्ट्रपति बनने जा रहा है, विशेषकर महिला तो कांग्रेस अड़चनें पैदा कर रही है। कांग्रेस के पास पार्टी में कोई बड़ा आदिवासी चेहरा ना होना भी पलटवार की गुंजाइश फीकी करता है।
दरअसल, भाजपा आदिवासी बहुल मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस की घेराबंदी आदिवासी विरोधी पार्टी बताकर करेगी। आदिवासी बहुल कई राज्यों में जहां अगले दो साल के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अजेय होने के लिए आदिवासी वोट बैंक साधना शुरू कर दिया है। इन कोशिशों को आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाने से मजबूती मिलने की संभावना से पार्टी प्रफुल्लित है।
यशवंत सिन्हा के समर्थन को भाजपा ने कांग्रेस की आदिवासी विरोधी मानसिकता करार दिया है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने मुर्मू का समर्थन नहीं कर अपना आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। आजादी प्राप्ति के बाद से अब तक कांग्रेस ने आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझा और उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित नहीं की। भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी और उन सारे राज्यों में प्रचारित करेगी, जहां आदिवासी जनसंख्या ज्यादा है।
जनसंपर्क के तहत यशवंत सिन्हा के मध्य प्रदेश दौरे के इंतजाम कांग्रेस ही करेगी। मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा राष्ट्रपति चुनाव से ही कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाने शुरू कर देगी। यही हाल अन्य आदिवासी आबादी वाले राज्यों में रहा तो कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ सकती है। इधर भाजपा के पास आदिवासी समुदाय के लिए सबसे मजबूत दांव द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए जनजातीय गौरव दिवस और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासी हितों की योजनाएं हैं।
कांग्रेस की इस मानसिकता को हम लगातार उजागर करेंगे : भाजपा
भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि राष्ट्रपति के गरिमामय चुनाव में एनडीए ने पूर्व राज्यपाल और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार इस वर्ग से कोई इस पद पर सुशोभित होगा। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस समर्थन के बजाए विरोध पर उतारू है। मध्य प्रदेश के जनजाति विधायकों को जवाब देना होगा कि इस वर्ग के लिए गौरव के चरणों का विरोध क्यों किया। स्वतंत्रता के 75 साल में कांग्रेस के पास कई अवसर थे, पर कांग्रेस तो ऐसा कर ना सकी और अब जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में निर्णय हुआ तो कांग्रेस विरुद्ध है। अनुसूचित जाति वर्ग की भावनाओं और उनके अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले डा. भीमराव आंबेडकर को भी कांग्रेस ने लोकसभा में पहुंचने से रोकने के लिए भरसक प्रयास किए थे। कांग्रेस की इस मानसिकता को हम लगातार उजागर करेंगे।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
- Font Size
- Close