भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। मैं बचपन से फौजी बनना चाहता था, लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था। कॉलेज के दिनों में मैं थिएटर करने लगा। फिर धीरे-धीरे इसी ओर रुझान बढ़ता गया और मैं अभिनय में ही रम गया। मैं फौज में भले ही भर्ती नहीं हो पाया हूं, लेकिन सेना के प्रति मेरे मन में आज भी सम्मान है। फौज की कार्यशैली उनके प्रति आदर भाव को दिखाने का प्रयास फिल्म 'फौजी कॉलिंग" में किया गया है। फिल्म में फौजियों के परिवारजनों की भावनाएं को व्यक्त की गई है। अपनी आगामी फिल्म 'फौजी कॉलिंग" के प्रमोशन के लिए भोपाल आए शरमन जोशी ने यह बात एमपीनगर स्थित एक होटल में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।
ओटीटी पर सेंसरशिप के मुद्दे पर शरमन का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप की जरूरत है। ये जरूरी है कि सभी डायरेक्टर्स समझें कि वास्तविकता के नाम पर हर कुछ दिखाना गलत है। जो बच्चों को गलत तरह की शिक्षा दें, वो फिल्में रोकनी चाहिए। इसके लिए खुद डायरेक्टर्स को इस सोच को सम्मान देना चाहिए। शरमन का कहना है कि एक कलाकार के तौर पर वह कॉमेडी में नहीं, बल्कि ड्रामा में माहिर हैं। उन्हें कॉमेडी की बारीकियां सीखनी पड़ी। शरमन ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के लिए कुछ फौजियों के परिवारजनों से मिला और छावनी की विजिट भी की।
स्टूडेंट्स के बीच की सेज टॉक
फिल्म 'थ्री इडियट्स' में कॉलेज स्टूडेंट राजू रस्तोगी के किरदार से पहचान बनाने वाले एक्टर शरमन जोशी यहां सेज यूनिवर्सिटी भी गए। यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित रॉयल सेज हॉल में स्टूडेंट्स के लिए सेज टॉक का आयोजन किया गया था। शरमन जोशी के साथ अभिनेत्री बिदिता बाग, फिल्म के प्रोड्यूसर विक्रम सिंह एवं डायरेक्टर आर्यन सक्सेना भी थे। उल्लेखनीय है कि फिल्म 'फौजी कॉलिंग" 18 मार्च को रिलीज हो रही है।
Posted By: Ravindra Soni
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