अंजली राय, भोपाल। देशी गायों का दूध हमारे लिए बेहद उपयोगी है, क्योंकि इनमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता काफी अधिक होती है। कम गुणवत्ता की खाद्य सामग्रियों को खाने और बीमारियों से लड़ने की क्षमता इन्हें भारत की कठिन परिस्थितियों में जिंदा रखती हैं।
शोध में मिली जानकारी
ये विशेषताएं भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आइसर) में विज्ञानियों द्वारा किए गए शोध में सामने आईं। जीव विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. विनीत के शर्मा और उनकी टीम ने जीनोम अनुक्रम में पाया कि वातावरण के हिसाब से खुद को ढालने की क्षमता देशी नस्ल की गायों में अधिक होती है।
अनुवांशिक संरचना का अध्ययन
विज्ञानियों ने देशी गायों में कासरगोड ड्वार्फ, कासरगोड कपिला, वेचूर और ओंगोल की अनुवांशिक संरचना का अध्ययन किया है। इस शोध से मिले निष्कर्षों से अब देशी गायों के प्रजनन में सुधार, दूध उत्पादन क्षमता और बीमारियों की पहचान में मदद मिलेगी।
पहली बार ऐसा अध्ययन
डा. शर्मा के अनुसार देशी गायों पर इस तरह का यह पहला जीनोम अनुक्रम शोध है। इससे पता चला है कि ये गायें भारतीय वातावरण के अनुसार ही अनुकूलित हुई हैं। जीनोम अनुक्रम के लिए शासकीय पशु चिकित्सालयों और केरल की कपिला गोशाला से सैंपल लिया गया था। शोध में यह भी पाया गया कि दुनिया में गाय की सबसे छोटी नस्ल वेचूर है, जो सबसे बेहतर देशी नस्ल की गाय है।
जानेंगे विकास चक्र
इस शोध का मूल उद्देश्य यह जानना है कि भारतीय मूल की गाय यहां के वातावरण में किस प्रकार अनुकूलित हुई हैं। इस शोध का प्रकाशन बायोआरएक्सआइवी में किया जा चुका है। इससे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
क्या है जीनोम अनुक्रम
जीनोम किसी जीव जैसे कि पौधे या जानवर की संरचना और संचालन के निर्देशों के एक समूह का ब्लूप्रिंट है। यह जीन से बना होता है, जिसमें उस जीव के बढ़ने, विकसित होने और सुचारु कार्य करने के लिए जरूरी जानकारियां होती हैं।
इनका कहना है
देश में पहली बार देशी गायों का जीनोम अनुक्रम किया गया है। इसके परिणाम भी बेहतर पाए गए हैं। इससे गायों के प्रजनन और दूध उत्पादन में सहायता मिलेगी।
डा. विनीत के शर्मा, सहायक प्राध्यापक, जीव विज्ञान विभाग, आइसर
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