भोपाल। इस साल सामान्य से 7 प्रतिशत कम बारिश का स्काईमेट का दावा यदि सच हो गया तो शहर में इस साल के बाद अगले साल और अधिक जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि जल स्त्रोतों का जिस तरह से दोहन हो रहा है, उससे इनका लेवल तेजी से घट रहा है। यदि फिर कमजोर मानसून रहा तो जल स्त्रोत खाली रह जाएंगे। जिससे स्थिति और खराब हो जाएगी।
पिछले साल सामान्य से कम बारिश के कारण बड़ा तालाब छह फीट से ज्यादा खाली रह गया था। लगातार पानी के दोहन के कारण वर्ष 2009 यानी 10 साल पहले वाली स्थिति बन गई है। इसी तरह कोलार डैम में मौजूदा जलस्तर चार साल पहले वाली स्थिति के करीब पहुंच गया है।
दरअसल, नगर निगम शहर में रोजाना कोलार डैम, बड़े तालाब और नर्मदा से कुल 97 एमजीडी करीब पानी पेयजल के लिए ले रहा है। पिछले साल कम बारिश के बाद निगम प्रशासन ने पानी बचाने के लिए अल्टरनेट डे सप्लाई का प्लान बनाया था। लेकिन राजनीतिक दबावों के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया। जल संसाधन विभाग और नगर निगम के जानकारों की मानें तो मौजूदा स्थिति को देखते हुए पहले ही अल्टरनेट डे पर अमल होना था।
2009 से नहीं लिया सबक
- वर्ष 2009 में बड़ा तालाब 1655 फीट ही भर पाया था। पूरी गर्मी में पानी सप्लाई हो सके, इसके लिए तत्कालीन निगम कमिश्नर मनीष सिंह के कार्यकाल में अक्टूबर से ही अल्टरनेट डे सप्लाई शुरू कर दी गई थी। एक दिन छोड़कर सप्लाई होने पर तालाब का लेवल 1646 फीट तक पहुंच गया था। इसके बाद वर्ष 2013 के बाद जब अच्छी बारिश हुई तब ज्यादातर हिस्से में रोजाना सप्लाई शुरू हो पाई।
- चूंकि पिछले साल तालाब में 1660.50 फीट ही पानी भर पाया था, लेकिन रोजाना सप्लाई किए जाने से तालाब का लेवल तेजी से घट रहा है। ऐसे में इस बार 1649 फीट से नीचे लेवल चला जाएगा। इससे 10 साल वाली स्थिति निर्मित हो जाएगी।
- वर्ष 2018 में औसत बारिश के दौरान 1661 फीट ही तालाब भर पाया था, जिससे गर्मी में इसका लेवल 1650 फीट तक पहुंच गया था। हालांकि समय पर बारिश होने से स्थिति में सुधार हो पाया।
- इस साल यदि मानसून कमजोर रहा और सामान्य से कम बारिश हुई तो स्थिति 1660 फीट तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा। फिर स्थिति खराब होना तय है।
- तालाब का फुल टैंक लेवल 1666.80 फीट है। यदि लेवल को ज्यादा घटाया गया तो इसे भरने के लिए भारी बारिश की जरूरत होगी।
नर्मदा की स्थिति भी बिगड़ना तय...खोलने पड़ेंगे बरगी बांध के गेट
शहर के गोविंदपुरा विधानसभा और नरेला विधानसभा क्षेत्र में पानी की आपूर्ति के लिए नर्मदा नदी से रोजाना 40 एमजीडी पानी लिया जा रहा है। पिछले साल कम बारिश से नर्मदा का जल स्तर कम हुआ था। होशंगाबाद स्थित निगम के इंटकवेल का जल स्तर डेढ़ मीटर खिसक गया है। उस दौरान आठ साल बाद आनन-फानन में बरगी बांध से पानी छोड़ा गया था। इस साल भी स्थित खराब होगी।
इस बार समय कम किया है, अगले साल अल्टरनेट ही बचेगा विकल्प
इस साल जलसंकट से निपटने के लिए तीन प्लान थे। एक अल्टरनेट डे सप्लाई, दूसरा सप्लाई के समय में कटौती और तीसरा प्लान था तालाब में कटौती कर रोजाना पानी दें। अंत में तीसरे प्लान पर अमल शुरू किया। हां यह सही है कि बीते दो सालों से जल स्त्रोतों में पानी में कमी आई है। ऐसा ही रहा तो अगले साल अल्टरनेट डे सप्लाई के विकल्प पर अमल करेंगे।
- बी विजय दत्ता, कमिश्नर नगर निगम
आचार संहिता का असर...फील्ड में नहीं निकल रहे अधिकारी
बता दें कि पिछले साल जलसंकट के हालात बने थे, जिससे निपटने के लिए महापौर आलोक शर्मा ने पार्षदों से वन टू वन चर्चा कर शहर के विभिन्न हिस्से में निरीक्षण किया था। इस दौरान कई बोरवेल में मोटर डलवाकर पानी सप्लाई शुरू की गई थी। वहीं, कुछ निजी लोगों द्वारा बोरवेल को कब्जे से मुक्त कराया था। इसके बाद आसपास के रहवासियों को राहत मिली थी। महापौर ने जलकार्य से अफसरों से लेकर जोन के सहायक यंत्रियों को रोजाना फील्ड में घूमने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस बार आचार संहिता के चलते निगम के अफसर एसी रूम से बाहर नहीं निकल रहे हैं। जनप्रतिनिधि निगम अफसरों पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं, जिससे पेयजल आपूर्ति अप्रैल से ही बिगड़ गई है।
इधर, कोलार में निजी टैंकरों के भरोसे लोग
गर्मी के चलते कोलार में पानी की समस्या बढ़ गई है। स्लम एरिया सहित कई कॉलोनियों के लोग निजी टैंकरों पर निर्भर हो गए हैं। 300 से 400 रुपए प्रति टैंकर देकर लोग पानी खरीद रहे हैं। नगर निगम प्रशासन की ओर से अभी सिर्फ 20 टैंकरों से ही पानी सप्लाई किया जा रहा है। यह टैंकर स्लम एरिया में पानी सप्लाई तक सीमित हैं। राजहर्ष ए व बी सेक्टर, राजवैद्य, ओम, गणेश, वरुण नगर, गेहूंखेड़ा, बैरागढ़ चीचली, प्रियंका नगर व आसपास की कॉलोनियों को लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर ऐसी कॉलोनियां जिनमें केरवा के नल कनेक्शन नहीं हुए हैं,वहां पानी की समस्या से लोग परेशान हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि निगम जब तक कोलार में 15 हजार नल कनेक्शन नहीं देगा, तब तक कोलार में पानी की समस्या से लोगों को पूरी तरह से निजात नहीं मिलेगी। बता दें कि कोलार में केरवा पेयजल योजना के तहत कुल 15 हजार नल कनेक्शन होने हैं, लेकिन काम अधूरा होने से अभी 8500 ही नल कनेक्शन हुए हैं। साढ़े छह हजार नल कनेक्शन होने हैें।
हर साल महंगे हो जाते हैं टैंकर
हर साल गर्मी में जल संकट गहराया जाता है। पानी की कमी होने से टैंकर मालिकों को कोलार के बाहर से पानी भर कर लाना पड़ता है। इससे प्रति टैंकर 400 रुपए तक हो जाता है। तत्काल टैंकर मांगने पर 500 रुपए तक टैंकर मालिक लेते हैं। ऐसे में लोगों को एक महीने में चार से पांच टैंकर पानी खरीदने में दो से ढाई हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
तत्काल टैंकर भेजा जाता है
कोलार की अधिकांश कॉलोनियों में केरवा के पानी की सप्लाई हो रही है। शिकायत मिलने पर तत्काल टैंकरों से सप्लाई की जाती है।
-आशीष मार्तण्ड, प्रभारी जलकार्य शाखा जोन-18
कोलार डैम में एक समझें पानी का लेवल
- वर्तमान लेवल 443 मीटर
- डेड स्टोरेज 432 मीटर
- 4 अप्रैल 2016 को डैम में 28 मिलियन घन मीटर पानी था
- 4 अप्रैल 2019 को 32 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध है।
- पहले निगम डैम से 34 एमजीडी पानी रोज लेता था।
- अब 38 एमजीडी तक पानी लिया जा रहा है।
- पिछले साल 441 मीटर तक घटा था।
- इस बार 438 मीटर तक पहुंचने का अनुमान है
कहां से ले रहे रोज कितना पानी
- नर्मदा से 40 एमजीडी
- कोलार डैम से 38 एमजीडी
- तालाब से 19 एमजीडी
- कुल 97 एमजीडी
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