World Down Syndrome Day Special: भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। डाउन सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो किसी बच्चे में जन्मजात होती है। इस बीमारी से बच्चों को बचाने लिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। दरअसल, इसमें बच्चों के अंदर हार्मोंस की कमी हो जाती है, जिसके कारण बच्चों की शारीरिक व बौद्धिक क्षमता कमजोर हो जाती है।

वरिष्ठ पीडियाट्रिशियन हमीदिया के डा. राजेश टिक्कस के मुताबिक प्रदेश में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों में 12 से 15 प्रतिशत डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होते हैं। किसी को यह सिंड्रोम अधिक होता है तो किसी को कम, लेकिन इसमें बच्चे शारीरिक और बौद्धिक रूप से कमजोर होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए, ताकि उनका होने वाला बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ पैदा हो।

डा. राजेश टिक्कस ने बताया कि यह एक आनुवांशिक विकार है। सामान्यतः एक बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है, जिनमें से 23 क्रोमोसोम का एक सेट वह अपनी मां से तथा 23 क्रोमोसोम का एक सेट अपने पिता से ग्रहण करता है। जो संख्या में कुल 46 होते हैं, लेकिन यदि बच्चे को उसके माता या पिता से एक अतिरिक्त क्रोमोसोम मिल जाता है तो वह डाउन सिंड्रोम का शिकार बन जाता है।

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित शिशु में एक अतिरिक्त 21वां क्रोमोसोम आ जाने से उसके शरीर में क्रोमोसोम्स की संख्या बढ़कर 47 हो जाती है। सामान्य बच्चों की अपेक्षा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास की गति धीमी रहती है। इस विकार से पीड़ित लोगों के चेहरे की बनावट दूसरों से अलग होती है। साथ ही वे बौद्धिक रूप से कमजोर होते हैं। 35 या अधिक उम्र के बाद महिलाओं के गर्भवती होने पर ऐसी अवस्था में जन्म लेने वाले बच्चों में डाउन सिंड्रोम होने की आशंका ज्यादा रहती है।

डाउन सिंड्रोम के लक्षण

समर्पण के प्रबंधक उज्वल सिंह ने बताया कि डाउन सिंड्रोम की गंभीरता हर पीड़ित बच्चे में अलग-अलग हो सकती है। डाउन सिंड्रोम के चलते पीड़ितों में नजर आने वाली कुछ शारीरिक भिन्नताएं और विकार के लक्षण अलग-अलग प्रकार के होते हैं।

- चपटा चेहरा, खासकर नाक चपटी

- ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें

- छोटी गर्दन और छोटे कान

- मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ

- मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन

- चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर

- अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव

- छोटा कद

- आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे

यह होती हैं समस्याएं

डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों और वयस्कों में विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई जाती हैं। जैसे ल्यूकेमिया, कमजोर नजर, सुनने की क्षमता में कमी, हृदय रोग, याददाश्त में कमी, स्लीप एपनिया आदि। इसके अलावा उन्हें विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का भी खतरा रहता है। चिकित्सक बताते हैं कि वैसे तो यह नेचुरल बीमारी होती है जो जन्मजात है। गर्भावस्था के दौरान महिला को एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और जो दवाई चिकित्सकों द्वारा मना की गई हैं उनका सेवन न करें।

इनका कहना है

डाउन सिड्रोम में आंकड़ों का संधारण नहीं होता है। हालांकि माना जाता है कि कुछ मानसिक रूप से कमजोर बच्चों में से 15 प्रतिशत तक डाउन सिंड्रोम के शिकार होते हैं। इसका उपचार सिर्फ थैरेपी है, वहीं गर्भवती माताओं को प्रसव के पूर्व जांच करा लेना चाहिए।

- उज्जवल सिंह, मैनेजर जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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