Sawan 2021: युवराज गुप्ता, बुरहानपुर (नईदुनिया)। जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर इंदौर-इच्छापुर राजमार्ग के समीप सतपुड़ा की पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक असीरगढ़ के किले में अति प्राचीन शिव मंदिर है। इतिहासविदों और संतों के अनुसार मंदिर महाभारतकालीन है। किंवदंती है कि यहां पर आज भी महाभारत के अजेय योद्धा अश्वत्थामा आते हैं और ब्रह्ममुहूर्त में पहली पूजा कर चले जाते हैं। श्रावण माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। कावड़ यात्रा के माध्यम से सूर्यपुत्री ताप्ती नदी का जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। इस बार कावड़ यात्री सीमित संख्या में जाएंगे।

संतों के अनुसार मंदिर में श्रावण माह के पांच सोमवार को अभिषेक व पूजन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस माह प्रतिवर्ष बुरहानपुर से हिंदू संगठनों द्वारा एक कावड़ यात्रा निकाली जाती है। ताप्ती तट राजघाट से ताप्ती जल लेकर बुरहानपुर से असीरगढ़ तक यह यात्रा जाती है। इस जल से भगवान शिव का अभिषेक व पूजन कर सभी की खुशहाली के लिए प्रार्थना की जाती है। श्रद्धालुओं के साथ इतिहासकार, शोधार्थी विद्यार्थी और पुरातात्विक व इतिहास प्रेमी लोगों का तांता लगा रहता है। किले और मंदिर को लेकर लोगों द्वारा रिसर्च पेपर भी लिखे गए हैं।

पूजन का फल मिलता है

-शिव मंदिर में जो भी भक्त श्रावण माह में पांच सोमवार को अभिषेक व पूजन करता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है।

-महंत पुष्करानंदजी महाराज, उदासीन आश्रम नागझिरी बुरहानपुर

किंवदंती मशहूर

-इतिहास और पुरातन घटनाओं का साक्षी असीरगढ़ का किला ऐतिहासिक है। अति प्राचीन शिव मंदिर में महाभारत के अजेय योद्धा अश्वत्थामा के आने की किंवदंती मशहूर है। इन किवंदतियों से यह मालूम पड़ता है कि यह मंदिर महाभारत काल का है।

-मेजर डा. एमके गुप्ता, इतिहासविद्, बुरहानपुर

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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