छतरपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
जनपद पंचायत बिजावर के अंतर्गत ग्राम पंचायत महुआझाला में रेशम केन्द्र की 25 एकड़ जमीन पर रसूखदारों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इस बारे में कुछ सरकारी नुमाइंदों की भूमिका संदेह के दायरे में है।
इस पूरे मामले की शिकायत मिलने पर जब जांच कराई तो पूरा कच्चा-चिटठा सामने आ गया। इसके बाद जनपद पंचायत के सीईओ ने जिला पंचायत के सीईओ को एक पत्र लिखा। जिसमें उल्लेख किया है कि रेशम केन्द्र महुआझाला की शासकीय जमीन की खुली नीलामी कराने की स्वीकृति दी जाए, फिलहाल 15 एकड़ इस जमीन पर कब्जा जमाकर एक दबंग यहां पिपरमेंट की खेती कर रहा है। इतना ही नहीं मामले की गंभीरता देखकर जनपद के एक लिपिक व जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले को नोटिस देकर चार सदस्यीय एक अन्य जांच कमेटी से जांच कराई गई हैं, मगर सबकुछ फाइल में बंद को गया। सूत्रों की मानें तो ग्राम महुआझाला की इस जमीन की हर वर्ष जनपद पंचायत खुली नीलामी करके राजस्व जुटाता थी, पर विभागीय सांठगांठ से पिछले 8 वर्षों से रेशम केन्द्र की शासकीय जमीन की नीलामी न होने से बड़े राजस्व का नुकसान हुआ है। वहीं रसूखदार ने लाखों रूपये का मुनाफा कमाया है।
नीलामी न कराने में लिपिक की साजिश
सूत्रों की मानें तो रेशम केन्द्र महुआझाला की 25 एकड़ जमीन में से 10 एकड़ जमीन खेल मैदान के लिए आवंटित कर दी गई थी, जहां खेल मैदान बन गया है। शेष 15 एकड़ जमीन को हर वर्ष नीलाम किया जाता था, परंतु जनपद पंचायत के एक लिपिक राजेन्द्र सिंह परमार ने पूरी साजिश रचकर एक कब्जाधारी को खुश करने के लिए पिछले सात वर्षों से इस जमीन की नीलामी नहीं होने दी है। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत महुआझाला के ग्राम बम्होरी निवासी एक दबंग जुलाई 2014 से इस शासकीय जमीन पर कब्जा कर खेती करके लाखों रुपये कमा रहा है। यहां बता दें कि यह मामला उजागर होने पर जनपद पंचायत के सीईओ ने संबंधित को नोटिस देकर 15 लाख 52 हजार 714 रुपये जमा करने का आदेश भी दिया था, बाद में इस प्रकरण में क्या हुआ ये बताने से अधिकारी बच रहे हैं।
इनका कहना है-
इस पूरे मामले की जानकारी लेकर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। जांच के बाद कार्रवाई क्यों नहीं हुई इस बारे में जवाब मांगा जाएगा।
एबी सिंह, सीईओ, जिला पंचायत छतरपुर
Posted By: Nai Dunia News Network
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