छतरपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर में मौजूद नौ तालाबों में से चार तालाबों को जलकुंभी ने निगल लिया है। इस समय नये तालाब बनाने में करोड़ों का बजट खर्च कर रहे प्रशासन की ओर से शहर के तालाबों को जलकुंभी से मुक्त कराने में कोई सहयोग नहीं मिला है।
शहर में ग्वालमंगरा तालाब, संकटमोचन तालाब, गायत्री सरोवर में जलकुंभी पूरे तालाब पर फैल चुकी है। इन्हें जलकुंभी ने इस तरह से ढंक लिया है कि ये तालाब की बजाय हरी घास का मैदान ज्यादा नजर आ रहे हैं। तालाबों से उठने वाली दुर्गंध के कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। वहीं वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। ये जलकुंभी पानी को तेजी से सुखाकर तालाब को जलविहीन कर रही है। सूत्रों की मानें तो कुछ तालाबों में तो लोग कहीं से जलकुंभी की एक बेल लाकर डाल देते हैं जो देखते-देखते कुछ समय में पूरे तालाब में फैल जाती है। दरअसल इसके पीछे तालाब को सुखाकर लोग तालाब के रकबे में प्लाटिंग करने का षड्यंत्र रचते रहते हैं। यदि जलकुंभी का स्थाई निवारण नहीं किया गया तो ये शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने वाले तालाबों को चट कर जाएगी। यहां बता दें कि पूर्व में प्रताप सागर तालाब में भी जलकुंभी फैली थी, लेकिन इस तालाब को नगर के समाजसेवियों ने गोद लेकर बेल को निकाल फेंका, अब बराबर इसकी देखरेख भी करते हैं। इस कारण प्रताप सागर तालाब इस समस्या से मुक्त है। इसी तरह किशोर सागर तालाब में मछली पालन करने वाले इसमें जलकुंभी न फैल सके इसका पूरा ख्याल रखते हैं। वहीं ग्वालमंगरा तालाब, संकटमोचन तालाब, गायत्री सरोवर की निगरानी करने वाला कोई न होने से यहां जलकंुभी तालाब के अस्तित्व के लिए बड़ा संकट बन गई है। इन तालाबों को साफ करने के लिए शहर के लोगों सहित समाजसेवी कई बार नगर पालिका व जिला प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन काम नहीं आया। पहले भी जब तालाबों में जलकंुभी फैली तो लोगों ने जनसहयोग से सफाई करके तालाबों को इस विकट बेल से मुक्त कराया, इस बार भी संकट मोचन तालाब में ऐसा ही नजारा दिखाई दे रहा है।
प्रशासन बना पूरी तरह से लापरवाह
ऐसा नहीं कि शहर के अधिकांश तालाबों में जलकुंभी के साथ गंदगी बढ़ने की जानकारी प्रशासन के जिम्मेदारों को न हो, लेकिन जलकुंभी और गंदगी को साफ करने की इनके पास कोई ठोस योजना नहीं है। एक माह पूर्व ग्वालमंगरा तालाब को जलकुंभी मुक्त करने के लिए नगर पालिका ने अभियान शुरू किया वो कुछ ही दिनों में खत्म भी कर दिया गया। इसके पीछे बजट न होने का रोना रोया गया। यहां बता दें कि इस समय नगर पालिका में अध्यक्ष का पद खाली है। इस कारण कलेक्टर ही निकाय के प्रशासक हैं। शहर के तालाबों में फैली जलकुंभी व गंदगी की जानकारी कलेक्टर को भी है, लेकिन इन्हें भी कोई योजना बनाने की फुर्सत नहीं है। इसी कारण शहर के तालाबों की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है। कितनी अजीब बात है कि प्रधानमंत्री की अमृत सरोवर योजना व जलजीवन मिशन के तहत इन दिनों पूरे जिले में करोड़ों का बजट खर्च करके नये तालाब खोदे जा रहे हैं, लेकिन पुराने तालाबों की ओर किसी का ध्यान नहीं न इनके लिए कोई बजट है।
संकटमोचन तालाब से जलकुंभी निकालने में जुटे लोग
शहर के तलाब जो जलकुंभी की चपेट में हैं उन्हें जलकुंभी से मुक्त कराने के लिए जब प्रशासन काम नहीं आया तो सामाजिक संगठनों ने मुहिम शुरू कर दी है। शहर के कई युवाओं ने जलकुंभी साफ करके तालाबों को सुंदर बनाने का बीड़ा उठा लिया है। इसी तारतम्य में गुरुवार को छतरपुर विकास मंच के जिला अध्यक्ष अरविंद गोस्वामी के नेतृत्व में विकास मंच के नगर अध्यक्ष शिववृत तिवारी, छात्र एकता परिषद के जिला अध्यक्ष दीपक गोस्वामी, नगर अध्यक्ष शशांक गोस्वामी के साथ नरेश यादव, मनीष सेन, सत्यव्रत तिवारी, अभिनय तिवारी, आदर्श अरजरिया, छोटू कुशवाहा, संतू रायकवार, रवि उपाध्याय, पियूष सोनी, शिवम सोनी, रजत दाऊ, मनीष महाराज सहित कई युवाओं ने संकटमोचन तलाब में श्रमदान करके हुए कई ट्राली जलकुंभी निकाली। इन युवाओं का कहना है कि लोग अब सचेत हो गए हैं तो तालाब भी जलकुंभी से मुक्त हो जाएंगे।
इनका कहना है-
बजट की समस्या से तालाबों के कायाकल्प अभियान में दिक्कत आ रही है। इसके लिए बजट मिलते ही तालाबों की सफाई व रखरखाव कराया जाएगा।
ओमपाल सिंह भदौरिया, सीएमओ, नगर पालिका छतरपुर
Posted By: Nai Dunia News Network