- मानवाधिकार आयोग ने स्वयं संज्ञान लिया। एसपी को तीन सप्ताह में भेजना होगी रिपोर्ट, ईशानगर थाना क्षेत्र का मामला
छतरपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने छतरपुर एसपी सचिन शर्मा से जवाब मांगा है। दरअसल छतरपुर जिले के ईशानगर थाना क्षेत्र से बीते नौ दिन से लापता नाबालिग के अपहरण की रिपोर्ट नहीं लिखी गई है। नाबालिग किशोरी के स्वजन ने एसपी कार्यालय में भी आवेदन देकर गुहार लगाई है। साथ ही गांव के दबंग संदेही का नाम भी बताया है। इसके बावजूद रिपोर्ट नहीं लिखे जाने पर आयोग ने स्वता संज्ञान लिया है।
यह है पूरा मामलाः
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन की ओर से मांगे गए जवाब में बताया गया गया है कि ईशानगर थाना क्षेत्रांतर्गत ग्राम पहाड़गांव निवासी दुर्जन पुत्र गोवर्धन कुशवाहा ने एसपी कार्यालय में आवेदन देते हुये बताया कि गांव के एक युवक ने उसकी नाबालिग बेटी का अपहरण कर लिया है। ईशानगर पुलिस द्वारा इस संबंध में न तो रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही उसकी अपहृत पुत्री की तलाश की जा रही है। दुर्जन के मुताबिक बीती 25 जून को वे पत्नी पूना कुशवाहा के साथ ग्राम बटुआ एक शादी समारोह में गए थे। घर में बुजुर्ग मां और बेटी थी। 26 जून की शाम करीब चार बजे जब वह वापस लौटे तो बेटी घर पर नहीं मिली। दुर्जन ने एसपी कार्यालय में दिए आवेदन में बताया कि उसे मां ने बताया कि वह बकरियां चराने गई थीं, जब वापस लौटी तो उसकी पोती घर पर नहीं थी। दुर्जन का कहना है कि घटना से एक-दो दिन पहले गांव के देशराज पुत्र रामदयाल कुशवाहा ने बेटी को उठा ले जाने की धमकी दी थी। आशंका है कि देशराज ही उसकी बेटी का अपहरण करके ले गया है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने एसपी छतरपुर से तीन सप्ताह में जवाब मांगकर पूछा है कि पुलिस ने रिपोर्ट क्यूं नहीं लिखी?
बंदियों के लिए आवश्यक निर्देश दिये जायें:
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक मामले में राज्य शासन को कहा है कि शासन यह सुनिश्चित करें कि जेल में दाखिल बंदियों के स्वास्थ्य की देखभाल के उत्तरदायित्व के सुनिश्चित पालन करने के लिए आवश्यक निर्देश सभी संबंधित जेल, पुलिस अधिकारियों को दिये जायें। इससे जेल में दाखिल रहने के दौरान भी बंदियों को गरिमापूर्ण जीवन के साथ ही उचित और प्रभावी स्वास्थ्य सुविधा की प्राप्ति के मौलिक मानव अधिकार के उपयोग का पालन पूर्ण हो सके और जेल अथवा पुलिस अधिकारियों की इस संबंध में उपेक्षा के कारण ऐसे बंदी ऐसे मूलभूत/मानव अधिकार के उपयोग से वंचित नहीं हो सकेंगे।
Posted By: Nai Dunia News Network
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