PM Modi Mann Ki Baat: छतरपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात में अपने जिक्र से बुंदेलखंड की बेटी बबीता राजपूत उत्साहित है। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के अंगरोठा गांव में जल संरक्षण का काम कर रही बबीता का उल्लेख इसलिए किया, क्योंकि उसने पानी का संकट झेल रहे गांव में महिलाओं को जोड़कर सूखी झील को जीवित कर दिया है।
'नईदुनिया" ने 'सूखे बुंदेलखंड के लिए भगीरथ बन गईं हजारों जल सहेलियां" समाचार में उनकी यह पहल प्रकाशित की थी। बबीता ने कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि कभी प्रधानमंत्री मोदी मेरा नाम लेंगे। इससे इस अभियान को और आगे ले जाने की प्रेरणा मिली है। वे महिलाओं के समूह के साथ जंगल में उन स्थानों के चिह्नित करने में लगी हैं, जहां पानी रोककर छोटे-छोटे स्टाप डेम से पानी संचय किया जा सके। ताकि बारिश का पानी धरती में जा सके।
कई जल संरचनाओं को किया निर्माण
छतरपुर जिले के बड़ामलहरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत भेलदा के छोटे से गांव अंगरोठा में बुंदेलखंड पैकेज से तालाब का निर्माण कराया गया था, परंतु जल स्रोत का कोई माध्यम न होने से बरसाती मौसम निकलने के बाद यहां सूखा रहता था। यहां की महिलाओं (जल सहेलियां) ने परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सहयोग से लगभग 107 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर एक ऐसा रास्ता बनाया कि न केवल 40 एकड़ का तालाब भर गया बल्कि पास से ही गुजरने वाली मृतप्राय बछेड़ी नदी भी जीवित हो उठी। इस काम में बबीता राजपूत की अहम भागीदारी रही। मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, पन्नाा, सागर और दमोह के साथ उत्तर प्रदेश के झांसी, महोबा, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और जालौन में बबीता की तरह कई जल सहेलियां जल संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम कर रही हैं।
मन की बात में अपना नाम सुनकर मन प्रसन्न् हो गया
बबीता ने 'नईदुनिया" से चर्चा में बताया कि जैसे ही उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में नाम सुना तो पहले विश्वास ही नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके काम की सराहना कर रहे हैं, लेकिन जब छतरपुर जिले के साथ ही उनके गांव का नाम आया तो आश्चर्यचकित रह गईं। खुशी है कि उनके काम की सराहना प्रधानमंत्री ने की है। स्नातक द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत बबीता ने बताया कि आसपास के गांवों में भीषण पेयजल संकट के चलते महिलाओं को तीन किमी दूर से पानी लाना पड़ता था। उन्होंने महिलाओं के साथ मिलकर सूखे तालाब तक पानी लाने के लिए पहाड़ को काटने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री की सराहना से मनोबल बढ़ा है। अब आसपास के जंगल में बारिश का पानी सहेजने का प्रयास करूंगी। इसके लिए जंगल में गड्ढे बनाए जाएंगे और इनमें वर्षा जल पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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