देवास, हाटपीपल्या। अमेरिका में अपना 1.25 करोड़ का पैकेज छोड़ प्रांशुक कांठेड़ संत बन गए हैं। हाटपीपल्या में तीन दीक्षार्थियों ने सांसारिक जीवन छोड़ कर संयम पथ पर अग्रसर होकर जैन संत की दीक्षा ली है। प्रांशुक कांठेड़ वर्तमान निवासी इंदौर, प्रियांश लोढ़ा थांदला व पवन कासवा रतलाम ने सांसारिक जीवन छोड़कर संयम पथ की दीक्षा लेकर संत जीवन में प्रवेश किया है।
सोमवार को हाटपिपलिया मंडी प्रांगण में तीनों दीक्षार्थियों प्रांशुक कांठेड़, प्रियांश लोढ़ा, पवन कासवा ने सांसारिक मोह त्याग कर उमेश मुनिजी के शिष्य जिनेंद्र मुनि जैन से संत बनने की दीक्षा ली है। समारोह में हजारों की संख्या में लोग उपस्थित हुए। यह समारोह करीबन 3 घंटे चला। सूत्र वाचन के साथ पारंपरिक प्रक्रिया की गई। उसके बाद दीक्षार्थियों को दीक्षा वस्त्र धारण करवाए गए। इस आयोजन में देशभर से लोग उपस्थित थे।
संत बनने की इच्छा जाहिर की थी
बता दें कि देवास के हाटपिपलिया के निवासी रहे प्रांशुक कांठेड़ ने परिवार से जैन संत बनने की इच्छा जाहिर की थी। जिसके बाद उनके पिता राकेश ने उन्हें सपोर्ट करते हुए जैन मुनि की दीक्षा दिलवाने की बात पर प्रांशुक अमेरिका में डाटा साइंटिस्ट की नौकरी में सवा करोड़ का पैकेज छोड़ देवास आ गए। 2017 से विदेश में रहने के बाद भी वह अपने गुरु मंत्र की किताब पढ़ते रहे। जिसके बाद 2021 में प्रांशुक घर लौट गए। अब अमेरिका की नौकरी छोड़ कर दीक्षा ली।
प्रांशुक कांठेड़ अभी 28 वर्ष के है। वे अब सांसारिक मोह भंग होने पर जैन संत बनने की ओर चल पड़े हैं। उनके साथ प्रांशुक के मामा के बेटे प्रियांशु लोढ़ा जो कि खुद एमबीए किए हुए हैं व रतलाम के मुमुक्षु पवन कासवा दीक्षित भी जैन संत के पद पर चलेंगे।
कृषि मंडी परिसर हाटपीपल्या में भव्य दीक्षा समारोह कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें जितेंद्रमुनि मसा, स्वयंमुनि मसा, धर्मेंद्रमुनि मसा, आदि की उपस्थिति में दीक्षा कार्यक्रम संपन्न हुआ। तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान दीक्षा समारोह से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। दीक्षा समारोह कार्यक्रम में तीनों दीक्षार्थियों के परिजन व बडी संख्या में समाज जन कि उपस्थित रहे।
जनप्रतिनिधि हुए शामिल
इस भव्य दीक्षा समारोह में पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक जोशी, विधायक मनोज चौधरी, विश्वजीत सिंह चौहान आदि जनप्रतिनिधि शामिल हुए। पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने कहा कि भगवान नरसिंह की नगरी में बाहर से पधारे हजारों जैन समाज के समक्ष सांसारिक जीवन को त्याग कर आध्यात्मिक जीवन के लिए दीक्षा समारोह का आयोजन हुआ और हम दीक्षा समारोह के साक्षी बने। मेरे बचपन के मित्र राकेश कांठेड़ के पुत्र के द्वारा दीक्षा ली, कांठेड़ परिवार से मेरा परिवारिक रिश्ता है मैं भाग्यशाली हूं कि इस दीक्षा समारोह में शामिल होने का मुझे अवसर मिला
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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