MP Sonkutch Vidhan Sabha: सोनकच्छ से उज्ज्वल शुक्ला (नईदुनिया)। देवास जिले में आने वाली सोनकच्छ विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में 40 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं, वहीं 30 फीसद ठाकुर मतदाता भी हैं। इन दो जाति के मतदाता ही चुनाव में उम्मीदवार की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। इस क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। यहां के अस्पताल में सन् 2011 तक एक्सरे मशीन भी नहीं थी। अब यहां भवन तो बन गया है, पर डाक्टर और स्टाफ की कमी बरकरार है। पूरी विधानसभा में सिर्फ सोनकच्छ में ही सिविल अस्पताल है।

चार बार विधायक और एक बार सांसद

कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा यहां से विधायक हैं। वे 1985 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1998 से 2009 तक फिर विधायक रहे। 2018 के चुनाव में उन्हें फिर जीत मिली और वे कमल नाथ सरकार में मंत्री बने। दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी वर्मा नगरीय प्रशासन मंत्री रहे थे। वे 2009 से 14 तक देवास से सांसद भी रहे हैं। इस बार भी वर्मा का मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। चुनाव नजदीक आते ही भाजपा में कई दावेदार सक्रिय हो गए है।

सर्वे ही नहीं हुआ - ग्रामीण

क्षेत्र में भ्रमण करने के दौरान भाजपा और कांग्रेस की सक्रियता पर ग्रामीण सवाल उठाते मिले। ग्राम कुम्हारिया राव के सूरजमल कुम्हारिया ने बताया कि हमारे गांव में न तो विधायक आते हैं और न ही भाजपा नेता। प्याज, लहसुन, गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है, पर पटवारी एक बार भी गांव में नहीं आया। सरपंच से शिकायत करने पर भी कोई हल नहीं निकला।

खराब हो रहे ट्रांसफार्मर - विधायक वर्मा

विधायक सज्जन सिंह वर्मा बताते हैं कि बिजली के जो ट्रांसफार्मर लगवाए जा रहे हैं, वे बहुत हल्की क्वालिटी के है। जरा सा ओवरलोड होने पर वे जल जाते हैं, इससे लोगों को परेशानी आती है। 63 केवी के ट्रांसफार्मर पर 100 केवी का लोड दे दिया जाता है। गांवों में बिजली कम मिलती है, फिर भी भारी बिल दिए जा रहे हैं, इनमें सुधार के लिए उपभोक्ता परेशान होते हैं।

हमने सबसे ज्यादा विकास के काम कराए हैं

वर्मा ने बताया कि हमने जितने विकास कार्य किए है, उतने पूरे प्रदेश में किसी अन्य क्षेत्र में नहीं हुए। 1985 में जब मैं पहली बार विधायक बना, तब क्षेत्र में एक भी डामर की सड़क नहीं थी। आज पूरे क्षेत्र में हमने सड़कों का जाल बिछा दिया है। सोनकच्छ ही नहीं, हमने पूरे देवास जिले में कई काम कराए है। इंदौर से भोपाल 4 हजार करोड़ की रोड मेरे मंत्री रहते ही बनी थी। प्रदेश का सबसे लंबा करीब दो किमी का पुल हमने बनवाया है।

सिर्फ बयानों से ही सक्रिय नजर आते हैं - राजेंद्र वर्मा (भाजपा)

भाजपा के पूर्व विधायक राजेंद्र फूलचंद वर्मा का कहना है कि सोनकच्छ में आपको जो भी विकास कार्य नजर आते हैं, वो शिवराज सरकार ने करवाए हैं। पूरे कोरोना काल में सज्जन सिंह वर्मा अपने इंदौर के घर से बाहर नहीं निकले। हम क्षेत्र में रहकर लोगों की मदद करते रहे। उनके 38 साल के कार्यकाल और मेरे सात साल के कार्यकाल का हिसाब कर लें। हम आज भी क्षेत्र के लोगों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं।

आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति

सज्जनसिंह वर्मा कहते हैं कि मंत्री रहते उन्होंने कई सड़कें, पुल और योजनाएं मंजूर की थी। उन्हीं का उद्घाटन अब सीएम कर रहे हैं और श्रेय ले रहे हैं। मेरे पास 1985 से किए कामों की पूरी जानकारी है। राजेंद्र वर्मा का कहना है कि सज्जन सिंह वर्मा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए कभी सीएम से मिलते नहीं है। मैं मुख्यमंत्री से मिलकर, मंत्रालयों के चक्कर लगाकर योजनाएं और विकास कार्य मंजूर कराकर लाता हूं।

लोगों के सतत संपर्क में रहते हैं हमारे विधायक

कांग्रेस के जिलाअध्यक्ष मनोज राजानी बताते हैं कि सज्जन सिंह वर्मा, विधायक रहे हो या सांसद वे क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं। हर किसी की समस्या को सुनते हैं और तुरंत समाधान करने का प्रयास भी करते हैं।

नहीं बना भूतेश्वर को जोड़ने वाला पुल

भाजपा और कांग्रेस भले ही क्षेत्र में खूब विकास कार्य होने का दावा करते हो पर आजादी के 75 साल बाद भी सुरजना को भूतेश्वर से जोड़ने वाला पुल नहीं बन पाया है। आज भी करीब 50 गांव के लोग नाव से आना-जाना करते हैं या 30 किलोमीटर का चक्कर लगाकर अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं। इस बारे में कांग्रेस विधायक का कहना है कि यदि हमारी सरकार गिराई नहीं जाती तो पुल अब तक बन चुका, अब हमारी सरकार आएगी तो सबसे पहला काम पुल बनाने का ही करेंगे। वहीं राजेंद्र वर्मा का कहना है कि इस बारे में सीएम से बात हो चुकी है, यहां पर पुल भी जल्द स्वीकृत कराया जाएगा।

श्रेय लेने की होड़

क्षेत्र में जितने विकास कार्य हुए है, उन्हें लेकर भाजपा और कांग्रेस में श्रेय लेने की होड़ नजर आती है। गंधर्वपुरी से लेकर पीपलरवां तक 42 करोड़ की सड़क को लेकर वर्मा का दावा है कि वो उनके प्रयासों से बनी है तो राजेंद्र वर्मा कहते हैं कि उन्होंने इसे सीएम से चर्चा करके बनवाया है। नर्मदा-कालीसिंध परियोजना से 52 गांव नहीं जोड़े गए थे। दोनों ही दावा करते हैं कि उनके प्रयासों से ये गांव परियोजना में जुड़े।

Posted By: Hemraj Yadav

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