नालछा (नईदुनिया न्यूज)। श्रीजी के समवशरण के सामने ऊंचा मान स्तंभ बना होता है, इसकी विशेषता यह होती है कि इसे देखकर सभी का घमंड, मान, अभिमान सब गलकर नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में यह उल्लेख है कि सभी मिथ्यादृष्टि मान स्तंभ को देखकर सम्यक दृष्टि हो जाते हैं, क्योंकि समवशरण में केवल सम्यक दृष्टि को ही प्रवेश की पात्रता होती है।
उक्त उद्गार आचार्यश्री वर्द्धमान सागरजी ने मान स्तंभ शिलान्यास के दौरान व्यक्त किए। श्री छोटा महावीर कमेटी की गुरुभक्ति सफल हुई। प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्यश्री शांतिसागरजी गुरुदेव की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्द्धमान सागरजी ससंघ मंगल प्रवेश इस अतिशय क्षेत्र में हुआ। विनय छाबड़ा, आशीष जैन व अजीत जैन ने बताया कि आचार्यश्री वर्द्धमान सागरजी का राजस्थान के सुप्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र श्री महावीर के लिए विहार चल रहा है। प्रबंध कमेटी के निवेदन पर आचार्यश्री की ससंघ उपस्थिति में दिलीप, मधुरिमा, संकेत, महिका, संदेश व समस्त लुहाड़िया परिवार अंजली नगर इंदौर ने मान स्तंभ का शिलान्यास विमल शास्त्री निवासी धार के निर्देशन में किया। कार्यक्रम में संघ की ओर से ब्रह्मचारी गजु भैया, पूनम दीदी, बगड़ी, मांडू, नालछा व धार से सुरेश गंगवाल, दिलीप गंगवाल, पवन जैन, पुष्पेंद्र गंगवाल तथा महिला मंडल से चेतना छाबड़ा, मनीषा, ममता छाबड़ा आदि श्रद्धाल उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में अस्थायी वेदी में भूगर्भ से वर्ष प्रगटित मूलनायक श्री महावीर स्वामी, श्री श्रेयांश नाथ, श्री आदिनाथ, श्री शांतिनाथ तथा अन्य भगवान विराजित हैं। 2011 में मंदिर का शिलान्यास हुआ था। अब भी निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माणाधीन मूल नायक मंदिर के सामने मान स्तंभ में ऊपर-नीचे चार-चार प्रतिमाएं रहेंगी।
Posted By: Nai Dunia News Network
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