नागदा (धार) (नईदुनिया न्यूज)। हिंदुस्तान के ध्वज में तीन रंग हैं और सबसे ऊपर हमारे पूर्वजों के बलिदान का प्रतीक, जो केसरिया रंग है। जहां विज्ञान की सोच खत्म हो जाती है, वहां राजपूतों ने झंडे गाड़े हैं। हमारे ऐसे पूर्वजों का रक्त हमारी शिराओं में दौड़ रहा है। जिस दिन जाति अपने ही संस्कार, संस्कृति व इतिहास को खो देती है वह इतिहास में जिंदा नहीं रहती है। अपने बच्चों को अपने वंश, कुलदेवी, शास्त्र एवं इतिहास के बारे में पढ़ाएं, तब जाकर हमारा इतिहास, देश, राष्ट्र व क्षत्रिय संस्कार आगे बढ़ेगा। बदलाव चाहिए तो शुरुआत स्वयं से करनी पड़ेगी। अब समय संस्कार, संस्कृति व इतिहास को पुनः सीखने व जागने का आ गया है।
उक्त विचार क्षत्रिय राजपूत समाज नागदा द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 482वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित शौर्य यात्रा एवं सभा में जय राजपूताना संघ के संस्थापक अध्यक्ष विश्वनाथ प्रतापसिंह रेटा राजस्थान ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। प्रारंभ में राजपूत धर्मशाला परिसर स्थित अश्वरोही महाराणा प्रताप की प्रतिमा एवं भूमिदान दाता गणपतसिंह परिहार की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शौर्य यात्रा की शुरुआत की गई। यात्रा में डीजे एवं बैंडबाजे के साथ बग्घी पर महाराणा प्रताप व पृथ्वीराज चौहान का आदमकद चित्र विराजित था। नवयुवक केसरिया ध्वज लेकर घोड़ी पर सवार थे। चल समारोह में बुजुर्ग व युवा राजपूती वेशभूषा धारण कर पैदल चल रहे थे। नगर में दो घंटे तक भ्रमण कर धर्मशाला परिसर पहुंची शौर्य यात्रा का जगह-जगह गणमान्य, जनप्रतिनिधि व विभिन्ना संगठनों द्वारा पुष्पवर्षा व स्वल्पाहार की व्यवस्था कर स्वागत किया गया।
महाराणा प्रताप की ओजस्वी कविता सुनाकर भरा जोश
धर्मशाला में आयोजित सभा की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, महाराणा प्रताप एवं धर्मशाला के प्रेरणास्रोत रतनसिंह कामदार के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण कर की गई। आयोजन समिति द्वारा मंचासीन अतिथियों का स्वागत केसरिया दुपट्टे से किया गया। स्वागत भाषण हुकुमसिंह तवर ने दिया। कार्यक्रम के संबोधन की शुरुआत वीर रस के युवा कवि दर्शन लोहार रतलाम से हुई, जिन्होंने महाराणा प्रताप की ओजस्वी कविता सुनाकर पंडाल में जोश भर दिया। अध्यक्षता कर रहे औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा कि क्षत्रिय को सम्मानित व पूजा इसलिए जाता है कि वह जिस क्षेत्र में है, उसकी रक्षा और समस्या हल करता है। अन्याय के खिलाफ लड़ता है। अबला, असहाय, कमजोर का संबल बनता है और अपने कर्म के आधार पर शासन करता है। उस समय गणतंत्र नहीं था। मतदान नहीं होता था, लेकिन हमारे पूर्वजों में इतनी शक्ति थी, चरित्र इतना प्रबल था, व्यक्तित्व इतना प्रखर था, उनके मां के दूध में इतना दम था और संस्कार इतने दे दिए जाते थे कि अपनी धरा के लिए जीता था। अपने शरीर के अंग कटना पसंद करते थे, लेकिन अपना झंडा नहीं झुकने देते थे। विशेष अतिथि राजपूत करणी सेना मूल के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह चौहान, अखिल भारतीय युवा क्षत्रिय महासभा के इंदौर जिलाध्यक्ष दुलेसिंह राठौड़, राजपूत किरण पत्रिका संपादक धनसिंह राठौर, जय राजपूताना संघ के प्रदेश संयोजक लाखनसिंह डोडिया व अभिषेक सिंह टिंकू बना ने भी संबोधित किया। मंच पर क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष मलखानसिंह मोरी, हिंदू जागरण मंच जिलाध्यक्ष निर्भयसिंह पटेल, रतनसिंह गोहिल, अर्जुनसिंह पटेल, मुकेश पटेल, ईश्वरसिंह तंवर, राजेन्द्रसिंह, मनोहरसिंह पटेल, जितेंद्र सिंह राठौर आदि मंचासीन थे। अतिथियों को समिति के विनोद पटेल, धर्मेंद्र सिंह, सोहन सिंह, नौबत सिंह, प्रदीप सिंह, बलराम सिंह, वीरेंद्र सिंह, संदीप सिंह, शंभू सिंह आदि ने स्मृति चिन्ह के रूप में महाराणा प्रताप की तस्वीर भेंट की। आभार आयोजन समिति के केवलसिंह चावड़ा पलवाड़ा ने माना।
Posted By: Nai Dunia News Network
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