- धार के गांव नागदा में दो मुमुक्षुओं ने अंगीकार की दीक्षा
- बेटी की दीक्षा के ठीक दो वर्ष बाद मां ने भी चुनी संयम पथ की डगर
धार। (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले के ग्राम नागदा में रविवार को 42 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद दीक्षा का प्रसंग बना। यहां दो मुमुक्षुओं ने दीक्षा अंगीकार की। आचार्य भगवंत उमेशमुनि के शिष्य धर्मदास गणनायक प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनि के मुखारविंद से नागदा के अचल श्रीश्रीमाल एवं बदनावर की किरण काठेड़ दीक्षित हुए।
दूरदराज से आए हजारों समाजजन दीक्षा प्रसंग के साक्षी बने। सुख, सुविधा एवं करोड़ों की संपत्ति का मोह त्याग कर गांव नागदा के 16 वर्षीय अचल श्रीश्रीमाल दीक्षा अंगीकार कर संयम पथ पर चल पड़े। लगभग छह वर्ष की उम्र से ही उनमें वैराग्य भाव जाग गए थे। 10 वर्ष बाद दीक्षा लेने का शुभ प्रसंग बना।
विशेष बात यह रही कि माता, पिता, बहन, दादा आदि किसी ने इसमें अंतराय नहीं दी। इधर, बेटी प्रिया काठेड़ यानी साध्वी प्रणिधी श्रीजी के बाद बदनावर निवासी मां किरण काठेड़ भी दीक्षित हो गईं। दोनों मुमुक्षु जब वेश परिवर्तन कर आए तो पंडाल जय-जयकारों से गूंज उठा। दीक्षा पश्चात मुमुक्षु अचल श्रीश्रीमाल का नाम अचलमुनि और मुमुक्षु किरण काठेड़ का कृतज्ञाश्रीजी किया गया।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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