Dindori News : डिंडौरी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। केंद्रीय बजट में मोटे अनाज को ग्लोबल पहचान दिलाने की पहल के बाद से ही डिंडौरी जिले के बैगाचक निवासी लहरी बाई की चर्चाएं तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यह कहकर कि डिंडौरी जिले में मोटे अनाज के प्रसंस्करण को लेकर पहले से ही कार्य चल रहा है। इन चर्चाओं को और बल मिला है।

गौरतलब है कि ग्राम सिलपिड़ी निवासी लहरी बाई मोटे अनाज की विलुप्त होती प्रजाति को बचाने के लिए विगत एक दशक से कार्य कर रही है। बैगा महिला लहरी बाई ने अपने कच्चे आवास में ही मोटे अनाज की 20 से अधिक विलुप्त प्रजाति के बीज का बैंक तैयार किया है। लहरी बाई अपने गांव सहित आसपास के दो दर्जन से अधिक गांव के किसानों को अनाज के बदले यह बीज उपलब्ध करातीं हैं। जिले में मोटे अनाज बोवनी का रकबा और बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने भी इसे विस्तार देने की बात कही है।

गणतंत्र दिवस में महिला थी मुख्य अतिथि

बैगाचक क्षेत्र में मोटे अनाज की विलुप्त हो रही प्रजाति को बचाने वाली महिला लहरी बाई को कलेक्टर विकास मिश्रा द्वारा गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि बनाया गया था। जिले में यह पहला अवसर था, जब किसी बैगा महिला को गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि बनाकर मंच पर बैठाया गया। महिला ने कलेक्टर के साथ अतिथियों से परिचय लिया और परेड की सलामी भी ली थी।

दस वर्षों से कर रहीं हैं पहल

विगत दस वर्षों से लहरी बाई कच्चे भवन में बीज बैंक संचालित कर रही हैं। बैगा महिला द्वारा की जा रही इस पहल की जानकारी लगने पर कलेक्टर विकास मिश्रा द्वारा महिला को कलेक्ट्रेट बुलाकर उन्हें स्टार आफ द मंथ से सम्मानित भी किया था। लहरी बाई का जीवन शुरूआती दौर से ही संघर्षपूर्ण रहा है। क्षेत्र में जंगल की हो रही कटाई को भी रोकने लहरी बाई आगे आई थी। उसी पहल के बाद उनसे क्षेत्र की अन्य महिलाएं भी जुड़ीं।

माता-पिता की सेवा के लिए नहीं की शादी

लहरी बाई ने चर्चा के दौरान बताया कि माता पिता की सेवा करने के लिए उन्होंने अब तक शादी तक नहीं की है। बचपन से ही उन्हें बीज संग्रह करने की ललक थी। इसी के चलते उन्होंने 20 से अधिक विलुप्त होते अनाज की प्रजाति एकत्रित कर ली। यह बीज किसानों को अन्य किसी के पास नहीं मिलता। जानकारी लगने पर सिलपिड़ी सहित आसपास के गांव के लोग बीज लेने सीधे लहरी बाई के बीज बैंक पहुंच जाते हैं। लहरी बाई दूसरा अनाज लेकर उन्हें बीज देतीं हैं और संबंधित अनाज का बीज भी वापस उपज होने के बाद लेतीं हैं। बताया गया कि लहरी बाई के पिता को आंख में भी कम दिखता है। घर में और कोई न होने से उन्होंने अब तक शादी भी नहीं की।

मोटे अनाज का बनाया गया ब्रांड एंबेसडर

कलेक्टर ने मिलेट अंतरराष्ट्रीय दिवस के पोस्टर पर लहरी बाई की फोटो ब्रांड एंबेसडर के तौर पर लगवाई है। बताया गया कि मोटे अनाज की मांग तेजी से महानगरों में बढ रही है। ऐसे मंे विलुप्त होते मोटे अनाज की प्रजाति बचाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। कलेक्टर ने लहरी बाई की पहल को अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया है। बीज बैंक शुरू करने में मदद करने वाले नरेश विश्वास ने बताया कि 27 वर्षीय लहरी बाई बचपन से की बेवर खेती पर ध्यान देतीं आ रही थीं। बताया गया कि संबंधित अनाज खाने से शरीर बलवान रहता है और आयु भी लंबी रहती है। यह अनाज शुगर मरीजों के लिए भी काफी लाभदायक होती है।

बैंक में यह हैं विलुप्त प्रजाति के बीज

लहरी बाई के बीज बैंक में सलहार अनाज की तीन प्रजाति हैं जिनमें बैगा सलहार, काटा सलहार व ऐडी सलहार का नाम शामिल है। इसी तरह बडे कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, छोटी कोदो, डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, सिताही कुटकी, बिरनी कुटकी, नागदावन कुटकी, बिंदरी रवास, झुंझरू, छतरू, चारमढ़िया, लालमढिया, गोदपारी मढिया सहित अन्य बीज भी महिला के बीज बैंक में उपलब्ध हैं। यह अनाज अब बैगाचक क्षेत्र में दिखने लगा है। महिला द्वारा अपने आवास में मिट्टी की कोठी बनाकर बीज को संरक्षित रखा गया है।

इनका कहना है

बैगाचक क्षेत्र सिलपिड़ी निवासी लहरी बाई के पास विलुप्त हो रहे मोटे अनाज के बीस से अधिक प्रजाति के बीज हैं। लहरी बाई विगत दस वर्ष से आसपास के 25 गांव के आदिवासी किसानों को अनाज के बदले यह बीज उपलब्ध कराती आ रहीं हैं। इस पहल से विलुप्त होती प्रजाति के अनाज अब भी लोगों के पास हैं। लहरी बाई ने बीज बैंक भी बनाया है। यह बहुत उल्लेखनीय पहल है। जिले में मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने को लेकर विशेष कार्ययोजना बनाते हुए पहल की जाएगी।

विकास मिश्रा कलेक्टर डिंडौरी

Posted By: Dheeraj Bajpaih

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