Agriculture Research 2021: अजय उपाध्याय, ग्वालियर नईदुनिया। विजयाराजे कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गुलाबी रंग के गोल चने की आरवीजी-210 वैरायटी तैयार की है। इसे तैयार करने में कृषि वैज्ञानिकों को करीब 10 साल का समय लगा। इससे किसानों की आमदनी चार गुना बढ़ने की संभावना है। उत्पादकता अधिक होने से लोग पूरे साल गुलाबी चने का स्वाद चख सकेंगे। इसके बीज को लेकर अधिसूचना जारी हो चुकी है, जल्द ही यह वैरायटी किसानों के पास पहुंचेगी।
प्रदेश के किसान गुलाबी रंग के गोल चने की पैदावार कर पूरे देश की डिमांड की पूर्ति कर सकेंगे। कृषि महाविद्यालय के प्रदेश में कई रिसर्च सेंटर हैं। चने का रिसर्च सेंटर सीहोर में है, जहां चने की वैरायटी तैयार करने का काम वैज्ञानिक करते हैं। वैज्ञानिक का कहना है गुलाबी चने की वैरायटी तैयार करने में करीब दस साल का समय लगा है। इसकी फसल रवि मौसम में तैयार की जा सकेगी। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार गुलाबी चने का बेसन पीले रंग का ही बनता है। यह चना खाने में सॉफ्ट है, इसलिए जब इसके बेसन से तैयार नमकीन, रोस्टेड चना, बेसन का चीला आदि बनाया जा सकेगा। यह खाने में लजीज और पौष्टिक होंगे। इन्हीं विशेषता के चलते बाजार में इसकी डिमांड भी रहेगी।
चने की 20 हजार वैरायटी हैं: चने की करीब 20 हजार वैरायटी हैं। इसमें कृषि महाविद्यालय के सीहोर स्थित रिसर्च सेंटर में पांच हजार से अधिक वैरायटियों का संग्रह है। गुलाबी चना फूला (रोस्टेड) बनाकर खाने पर भी अच्छा लगेगा। इस कारण भी इसकी डिमांड रहेगी।
वर्जन-
रवि मौसम में तैयार होने वाले गुलाबी चने फसल की उत्पादकता अच्छी है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, वहीं लोग पूरे साल इसका स्वाद ले सकेंगे। इसकी डिमांड देश-विदेशों तक होगी। जल्द ही किसानों को बीज मिल जाएगा।
डा. मोहम्मद यासीन, वैज्ञानिक, सीहोर केंद्र, विजयाराजे कृषि महाविद्यालय
Posted By: vikash.pandey