Anganwadi forgery in Gwalior: ग्वालियर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। स्व सहायता समूहों की आड़ में आंगनबाड़ियों में खाने की सप्लाई करने वालों में एक के बाद एक नए चेहरे सामने आ रहे हैं। अब कारोबारी सुनील जैन का नाम आया है, जिसने कई समूहों को अपने कंट्रोल में लेकर कारोबार जमाया है, कुछ समूह तो ऐसे भी सामने आए हैं जिनसे लिखापढ़ी करा ली और साइन ले लिए गए। इन्हें भरोसा दिया गया कि प्रति आंगनबाड़ी एक हजार से लेकर पांच सौ रुपये तक महीना दिया जाएगा, भरोसा तो मिला लेकिन पैसा नहीं मिला। वहीं कई स्व सहायता समूह ऐसे बना दिए गए हैं जो अपना नाम, अध्यक्ष का नाम व सचिव का नाम तक नहीं बता सके हैं, सीधी सी बात है कि यह समूह फर्जी हैं। नईदुनिया ने गुरुवार को ऐसे समूहों की पड़ताल की जिसमें सुनील जैन का नाम उजागर हुआ और फर्जीवाड़ा भी निकला। यहां यह बता दें कि नईदुनिया ने पिछले दिनों ही स्व सहायता समूहों की आड़ में आंगनबाड़ियों में खाने की सप्लाई का काम करने वाले लोगों को बेनकाब किया। इसमें नेता सहित जनपद सदस्य तक शामिल हैं। बरई के जनपद सदस्य से भी इसमें नईदुनिया ने पहचान छिपाकर बात की थी तो उसने बताया कि एक-एक हजार रुपये आंगनबाड़ियों से बिल पास करने के नाम पर परियाेजना अधिकारी और सुपरवाइजर को जाता है। इसके साथ ही स्व सहायता समूह के जरिए आंगनबाड़ियों का काम संचालन की पूरी जिम्मेदारी उसने ली। समूहों को चेहरे की तरह उपयोग किया जा रहा है और इसके पीछे ठेकेदार जैसे लोग काम कर रहे हैं।

राजश्री स्व सहायता समूह द्यनईदुनिया टीम ने राजश्री स्व सहायता समूह वीरपुर बांध के वीर सिंह को फोन लगाया। इस समूह की अध्यक्ष का वीर सिंह पति है। उससे समूह के बारे में बात की और खाना सप्लाई केा लेकर पूछा। इसपर जब सुनील जैन का नाम लिया तो उसने कहा कि सुनील जैन के समूह चलते हैं। इस तरह यहां भी सुनील जैन का कनेक्शन पुष्ट हुआ।

नईदुनिया ने पहचान छिपाकर महाराज सिंह नाम के व्यक्ति के मोबाइल पर काल किया। महाराज सिंह से खाने सप्लाई को लेकर बात की उसने बताया कि सावित्री बाई स्व सहायता समूह, संत कबीर स्व सहायता समूह, बाबा कमाल खां स्व सहायता समूह और केजीएन स्व सहायता समूह उसके हैं और लखनौती क्षेत्र की आंगनबाड़ियों के काम के लिए सुनील जैन और एक अन्य व्यक्ति ने उससे संपर्क किया था। इन चार समूहों के लिए उसने कहा था कि महिला एवं बाल विकास विभाग से आंगनबाड़ी मिल गईं हैं और एक हजार रुपये प्रति आंगनबाड़ी का भुगतान दे देगा। इसके बाद कोई पैसा नहीं मिला फिर कहा कि सात सौ रुपये मिलेंगे और इसके बाद पांच सौ रुपये का भरोसा दिया। लिखापढ़ी करा ली गई और साइन भी करा लिए, लेकिन पैसा नहीं आया। इसके बाद बहाना बनाया गया कि आंगनबाड़ी विभाग से नहीं मिला और अपने समूह को काम दे दिया।

आंगनबाड़ियों में स्व सहायता समूहों के मामले में दिखवाया जा रहा है। इस पूरे मामले में विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी। संबंधित विभाग को भी निर्देशित किया है।

अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर

Posted By: anil tomar

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